सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को चुनाव आयोग के मामले में ऐसा आपात कदम उठाने की जरूरत क्यों महसूस हुई होगी? बेशक, सुप्रीम कोर्ट का उक्त निर्णय चुनाव आयोग में नियुक्ति की प्रक्रिया आदि के सम्बंध में जिन याचिकाओं पर आया है, वे काफी समय से लंबित पड़ी हुई थीं।फिर भी, 2014 के बाद से, चुनाव आयोग की निष्पक्षता तथा शासन से स्वतंत्रता पर जिस तरह से न सिर्फ बढ़ते हुए सवाल उठते रहे हैं, इसके साथ ही जिस प्रकार, चुनाव आयोग के शासन को अप्रिय राय रखने वाले सदस्यों को, शासन व केंद्रीय एजेंसियों के कोप का सामना करना पड़ा है; उस सबसे पुख्ता होती जा रही इस धारणा से सुप्रीम कोर्ट भी अनजान नहीं रहा होगा कि चुनाव आयोग सरकार का यस मैन बनता जा रहा है।