स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। इसके तहत शौचालय निर्माण के लिए सरकार की ओर से अनुदान भी दिया जाता है। सरकार की ओर से इसके लिए मात्र बारह हजार रुपए ही आर्थिक सहायता मिलती है। जो एक उपयोग करने वाले शौच के निर्माण के लिए अपर्याप्त है। गाँव में लोगों के घरों में शौचालय का निर्माण तो दिखता है लेकिन वह केवल खानापूर्ति है। ऐसा ही रहा तो देश में चल रहे स्वच्छ भारत मिशन अभियान से लक्ष्य प्राप्ति की उम्मीद करना बेकार होगा।
बिजली की समस्या और कटौती से देश के ग्रामीण और किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे है। जुलाई महीने में जब धान लगाने का मौसम था तब बारिश नहीं हुई और नहर में भी पानी नहीं आया। बिजली की बेतहाशा कटौती के कारण किसान अपने खेत की सिंचाई भी सही ढंग से नहीं कर पाए। आज भी कई ऐसे ग्रामीण इलाके है जो प्रतिदिन ट्रांसफार्मर फूंकने की समस्या से जूझ रहे है। बिजली की इसी समस्या पर प्रस्तुत है कमिया गाँव की रिपोर्ट।
वाराणसी के सजोई गांव में सरकारी योजनाओं के तहत बनाए गए शौचालयों की स्थिति अत्यंत निराशाजनक है। चार साल पहले बनाए गए शौचालयों का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है. गांव में एक सामुदायिक शौचालय भी बनाया गया था, लेकिन उसमें चार साल से ताला लटका हुआ है। यह ताला बंद होने के कारण गांव वालों के पास उस शौचालय का उपयोग करने का कोई विकल्प नहीं है। घर में शौचालय की अनुपस्थिति के कारण महिलाओं को अंधेरे में खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। यह स्थिति न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण है, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी खतरे में डालती है।