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राज्यसभा चुनाव : राजनीति में जागती अंतरात्माएं और मजबूत सरकार
जागने से पहले अंतरात्मा समाजवादी रहती है क्योंकि उसे पता है कि अगर अभी जाग गई तो उसे क्या मिलेगा? अर्थात राज्यसभा आदि अथवा विश्वास मत हासिल करने के मौके पर तो जो मांगो वहीं मिलेगा। इसलिए भला इसी में है कि अंतरात्मा सोई रहे। चाहे स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी के महासचिव रहकर आपके देवता-दानी को कितना भी गरियाएं लेकिन अपनी अंतरात्मा को जबरन सुलाये रखो क्योंकि अभी जाग गई तो कुछ नहीं मिलेगा।
क्या आप डॉ रत्नप्पा भरमप्पा कुम्हार को जानते हैं?
उत्तर भारत और हिन्दी भाषियों के लिए यह नाम शायद बिलकुल नया होगा क्योंकि इससे पहले इस पर कोई सार्वजनिक चर्चा नहीं हुई। वैसे...

