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लोकविद्या भाईचारा को समर्पित ‘चित्रा सहस्रबुद्धे’ का जीवन
अपर्णा -
लोगों की चेतना जिस तरफ खुलती है, वही उनका कर्म क्षेत्र बन जाता है और फिर लोग अपना जीवन उसी में लगा देते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं चित्रा सहस्त्रबुद्धे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन लोकविद्या जन आंदोलन के माध्यम से कारीगर समाज के पुनर्निर्माण के रास्ते बनाने के लिए लगा दिया। चित्रा जी लोकविद्या जन आंदोलन की राष्ट्रीय समन्वयक हैं। उनके अनुसार सामान्य लोगों (विशेषकर किसान, कारीगर, आदिवासी, स्त्रियाँ और छोटी पूंजी के उद्यमी आदि) के पास जो ज्ञान है, उसमें उनके और वृहत समाज के पुनर्निर्माण का आधार है। इसे ही लोकविद्या कहा जाता है और आज भी इसी में समाज के प्रत्येक व्यक्ति की सक्रियता, पहल और चेतना के पुनर्स्थापना की चाभी है।

