TAG
welfare state
दिल्ली चुनाव नतीजों से मिले कुछ ज़रूरी सबक…
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान जनता के बड़े हिस्से ने एक संदेश देते हुए एक रास्ता दिया कि हिंदुत्व की राजनीति-सामाजिक न्याय, संविधान व भाईचारा के लिए ख़तरा है और इसी सोच पर जनता ने उप्र की जनता ने हिंदुत्व के गढ़ को ढहा दिया। विपक्ष का एक हिस्सा भले ही थोड़ा ही बदलाव की कोशिश करता दिखा लेकिन आम आदमी पार्टी, अपने पुराने रास्ते पर ही चलती रही, यानि लगातार हिंदू पिच पर ही बैटिंग करती रही, जिसका नतीजा हम सब के सामने है।
भारत के मौजूदा संकट का राजनीतिक अर्थशास्त्र
बुनियादी चुनाव सुधार पर देश में बहस होनी चाहिए और उसके नतीजों को कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए। बुनियादी चुनावी सुधार सिर्फ मौजूदा कानूनी प्रावधानों में चंद संशोधऩों से नहीं संभव होगा, इसके लिए कानूनी प्रक्रिया में बुनियादी बदलाव, संविधान संशोधन और सबसे बढ़कर जन सजगता की जरुरत है। समाज में जागरुकता, जनपक्षधर सोच और राष्ट्रव्यापी जन-गोलबंदी के बगैर बडे सुधार और बदलाव संभव नहीं होंगे। हाशिए की आवाजों को तभी सुना जा सकेगा और उत्पीड़ित-दमित लोगों को प्रगति और विकास की धारा, जो समाज के संसांधनों और उनके अपने श्रम व कौशल का नतीजा है, में वाजिब जगह मिलेगी।