पूरी दुनिया में विकास के बदले पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचा है, उसका खामियाजा लगातार असमय जलवायु परिवर्तन के माध्यम से भुगत रहे हैं। इन दिनों भारत में गर्मी का तापमान 52 डिग्री तक पहुँच जाना खतरे का संकेत है। विकास के नाम पर लाखों पेड़ों की कटाई से जल,जंगल,जमीन में रहने वाले कुछ जीव-जन्तु,, पेड़-पौधे लुप्तप्राय हो चुके हैं। पहले के पारंपरिक प्रयास भले ही जीवन को धीमी गति से आगे बढ़ाते थे लेकिन तब पर्यावरण सुरक्षित था। अब यह तो संभव नहीं है लेकिन नए तरीकों से काम करते हुए भी पर्यावरण संरक्षित करने का प्रयास शुरू कर देना चाहिए।
जिसे हम खराब कहकर अपदस्थ कर देते हैं, वह कचरा नहीं है। फेंकी जाने वाली हर चीज का मूल्य होता है। फलों और सब्जियों के छिलके जो हम फेंक देते हैं, उन्हें पेड़-पौधों के उपयोग में आने वाली बेशकीमती खाद के रूप में बदला जा सकता है। इन छिलकों को अगर हम घर के एक गमले में मिट्टी की तहों से दबाकर रखें तो तीन से चार सप्ताह के अंदर यह तथाकथित कचरा बेशकीमती खाद बन जाता है जो पूरी तरह ऑर्गेनिक और पेड़ पौधों के लिए प्राणदायक है।