वाराणसी जिले का घोड़हा गाँव में इसके बसने को लेकर कई तरह की किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस गाँव के कुएँ में एक अंगेज़ घोड़े सहित गिरकर मर गया था। उस जगह को लोग घोड़हा बाबा का स्थान कहने लगे और इसी पर गाँव का नाम पड़ गया। अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के साथ ही घोड़हा के लोगों ने शिक्षा के महत्व को समझा है। अब लगभग हर घर के बच्चे स्कूल जाते हैं। लड़के-लड़की में पहले की तरह भेदभाव करने की परंपरा कमजोर पड़ती गई है। अब लड़के ही केवल दुलरुआ नहीं हैं, बल्कि लड़कियां भी दुलारी हैं।