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अनूप मणि त्रिपाठी
भइया हमको विकास नगर जाना है!
'भइया हमको विकास नगर जाना है!'
'तो जुमला एक्सप्रेस पकड़ो!'
'जी यहीं से जाएगी!'
'हाँ'
'इसी प्लेटफॉर्म से जाएगी!'
'सिर्फ इसी से।'
'जी, कब आएगी!'
'थोड़ा लेट कर दिए!'
'क्यों!'
'अभी चली गयी'अगले...
वास्तविक नहीं सात्विक कहानियाँ
(एक)
जुलूस निकल रहा था। भीड़ नारे लगा रही थी। बहुतों के हाथों में एक रंग के झण्डे लहरा रहे थे। जिनके हाथों में झण्डे...
सांपों की सभा
'तुम में जहर नहीं है, इसलिए तुम कमजोर हो!' सांप ने चूहे से कहा।
'जिसके अंदर जहर होता है दुनिया उसकी इज्जत करती है...उनका सिक्का...
इन दिनों कट्टर हो रहा हूँ मैं…
आजकल मैं बहुत हीन भावना में जी रहा हूँ । सामान्यतौर पर मैं सामान्य मनुष्य के जैसा जीवन ही जीना चाहता रहा हूँ। मगर...

