Friday, July 5, 2024
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आचार्य नरेन्द्र देव स्मृति पदयात्रा का उद्देश्य है संविधान का संरक्षण

लखनऊ से सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने निकाली पदयात्रा लखनऊ। सेशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) ने आज लखनऊ में आचार्य नरेन्द्र देव की समाधि से पदयात्रा निकाली। यह यात्रा तीन नवंबर को उनके जन्मस्थान सीतापुर स्थित आचार्य नरेन्द्र देव शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान पहुंचेगी। महबुल्लापुर नवीन फल मंडी, गुडंबा थाना, बिठौली क्रासिंग पर पद यात्रा का स्वागत हुआ। पद […]

लखनऊ से सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने निकाली पदयात्रा

लखनऊ। सेशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) ने आज लखनऊ में आचार्य नरेन्द्र देव की समाधि से पदयात्रा निकाली। यह यात्रा तीन नवंबर को उनके जन्मस्थान सीतापुर स्थित आचार्य नरेन्द्र देव शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान पहुंचेगी। महबुल्लापुर नवीन फल मंडी, गुडंबा थाना, बिठौली क्रासिंग पर पद यात्रा का स्वागत हुआ। पद यात्रियों ने जनता में पर्चे बांटते हुए संविधान, लोकतंत्र, समाजवाद पर जन संवाद किया।

आचार्य नरेन्द्र देव स्मृति पदयात्रा में सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप पाण्डेय, सोशलिस्ट किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल मिश्रा, सोशलिस्ट किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव यादव, अभिषेक पटेल, कमलेश पाण्डेय, गौरव सिंह, सचेंद्र यादव, अखिल भारतीय बांस शिल्पी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष धरकार, सामाजिक न्याय मंच के डाक्टर आरपी गौतम, उवैश, निशांत राज, अशोक, रामखेलावन, रामशंकर, सोनेलाल, गीता, संतराम, मौलाना इजहार हुसैन आदि लोग शामिल हुए।

आज देश में एक राजनीतिक एवं सांविधानिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है। जब से निजीकरण- उदारीकरण- वैश्वीकरण की आर्थिक नीतियां लागू की गई हैं तबसे देश की संप्रभुता समाप्त हो गई है, क्योंकि अब हम अपनी आर्थिक नीतियां अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के कहने पर बनाते हैं। पूंजीवादी नीतियों को अपनाने के कारण हम समाजवादी भी नहीं रह गए। खासकर जब से भाजपा का शासन आया है, इस देश-समाज में धार्मिक भेदभाव बढ़ गया है। हम धर्मनिरपेक्ष भी नहीं रहे। हमारे तंत्र को चलाने वाले दलों में चूंकि लोकतंत्र नहीं है, तो उनसे अपेक्षा करना भी बेमानी है कि वे जब सत्ता में आएंगे तो देश या प्रदेश को लोकतांत्रिक ढंग से चलाएंगे। हमारी राष्ट्रपति नाम की देश की मुखिया रह गई हैं। उन्हें नई संसद के उद्घाटन तक में नहीं बुलाया गया। तो हम गणतंत्र भी नहीं रहे।

असके अलावा देश के नागरिकों को स्वतंत्रता, न्याय, बराबरी एवं बंधुत्व का जो सांविधानिक वायदा किया गया था, वह भी धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है। यदि हम सिर्फ एक उदाहरण लें तो क्या हम कह सकते हैं कि जो महिला पहलवान भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह द्वारा यौन शोषण किए जाने के खिलाफ लड़ रही थीं, उन्हें स्वतंत्रता, न्याय, बराबरी या बंधुत्व का एहसास हुआ होगा?

ऐसे समय में जब पूरा संविधान ही खतरे में पड़ गया है, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) समझती है कि देश को पुनः डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के रास्ते पर लाना चाहिए। अन्यथा आम इंसान को प्राप्त अधिकारों का हरण पूरी तरह से हो जाएगा, जिसकी हमें कई झलक दिखने लगी है, जिसमें से महिला पहलवानों का उदाहरण एक हैं।

आचार्य नरेन्द्र देव, जय प्रकाश नारायण, डॉ. राम मनोहर लोहिया द्वारा स्थापित पार्टी ने इतिहास में देश को संविधान के रास्ते पर चलने में एक महत्वपूर्ण भमिका निभाई है, चाहे वह डॉ. लोहिया द्वारा केरल में अपनी ही सरकार द्वारा गोली चलाने पर सवाल खड़ा करना हो अथवा जय प्रकाश नारायण द्वारा आपातकाल के खिलाफ संघर्ष कर देश में लोकतंत्र को पुनः बहाल कराना हो।

आज जबकि राजनीति में मूल्यों का लोप हो गया है, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) सांविधानिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने में अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभाने के लिए तैयार है। लखनऊ से सीतापुर की पदयात्रा इस कड़ी में तीसरी यात्रा है। इससे पहले 3-5 अक्टूबर, अकबरपुर से अयोध्या (फैजाबाद) व 25 अक्टूबर को बाराबंकी में राम सेवक यादव स्मृति शराबबंदी पदयात्राएं निकाली जा चुकी हैं।

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