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उत्तर प्रदेश : पीएचसी हुई काग़ज़ पर सीएचसी और सुविधाएँ हवा में

वाराणसी। उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य विभाग को लेकर अक्सर बड़े-बड़े दावे करती रहती है लेेकिन उसकी सच्चाई धरातल पर कुछ और ही नजर आती है। वाराणसी शहर के पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी) को कुछ वर्षों पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) बना दिया गया। लेकिन पड़ताल करने पर पता चला कि महज एक सीएचसी शिवपुर […]

वाराणसी। उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य विभाग को लेकर अक्सर बड़े-बड़े दावे करती रहती है लेेकिन उसकी सच्चाई धरातल पर कुछ और ही नजर आती है। वाराणसी शहर के पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी) को कुछ वर्षों पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) बना दिया गया। लेकिन पड़ताल करने पर पता चला कि महज एक सीएचसी शिवपुर को छोड़ दिया जाए तो बाकी के चार केन्द्रों पर एक्स-रे की सुविधा ही नहीं है।

वाराणसी के ही ग्रामीण इलाकों में देखा जाए तो कुल 9 सीएचसी हैं, जिनमें से तीन पर अल्ट्रासाउंड की मशीनें तो लगी हैं, लेकिन टेक्नीशियन की कमी की वजह से आम जनता को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। साथ ही देखने में आया कि इन अस्पतालों में बेडों का अभाव है।

यही नहीं इन केन्द्रों पर अल्ट्रासाउंड, एक्सरे और खून की कई प्रकार की जांच भी नहीं हो रही है। इसके लिए लोगों को जिला और मंडलीय अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। देखा जाए तो वाराणसी जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में 9 सीएचसी और 24 पीएचसी हैं। दूसरी ओर, शहरी क्षेत्रों में 5 सीएचसी और 29 पीएचसी हैं। इस प्रकार से कुल मिलाकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 67 पीएचसी और सीएचसी हैं।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का हाल

सारनाथ एक ऐसा विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है, जो बुद्ध की उपदेश स्थली के रूप में जाना जाता है। देश के साथ ही विदेशी मेहमान यहां पर बुद्ध की उपदेश स्थली को देखने-समझने के लिए आते हैं। ऐसे में किसी भी पर्यटक को प्राथमिक चिकित्सा की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन दुख की बात है सारनाथ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर भी सुविधाओं का अभाव ही अभाव है।

सारनाथ स्थित इस सीएचसी की शुरुआत मार्च 2023 में हुई। इस सामुदायिक केन्द्र पर सप्ताह में पांच से छह डाॅक्टरों की टीम भी बैठती है, लेकिन बाकी सुविधाओं का अभाव हैं। इस केन्द्र पर एक्स-रे कक्ष तो है, लेकिन मशीन ही नहीं है। ऐसे में किसी मरीज को एक्स-रे कराना हो तो उसके लिए दो ही रास्ते बचते हैं, पहला प्राइवेट में जाकर करवा ले या फिर जिला मंडलीय अस्पताल का चक्कर लगाए।

सारनाथ निवासी जियालाल यादव कहते हैं कि इन केन्द्रों पर सर्दी, जुकाम, हल्का बुखार का इलाज तो कराया जा सकता है लेकिन बड़े रोगों के इलाज के लिए मंडलीय या फिर प्राइवेट अस्पतालों में ही जाना बेहतर है। इस केन्द्र पर न तो अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था है और न ही खून के जांच की। यही नहीं कभी-कभी तो यहां दवाइयां भी नहीं मिलती, बाहर जाकर लेनी पड़ती है।

सारनाथ के घुरहूपुर निवासी राकेश बताते हैं कि मैंने अपनी पत्नी का आपरेशन कराने के लिए सीएचसी में भर्ती कराया। किसी तरह आपरेशन तो हो गया, लेकिन अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे के लिए बाहर जाना पड़ा। यही नहीं कुछ दवाइयां भी बाहर से लेनी पड़ीं।

दूसरी तरफ, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र विद्यापीठ को एक साल पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का दर्जा तो दे दिया गया लेकिन सुविधाएं आज भी नदारद हैं। धरातल पर देखा जाए तो यहाँ कोई जांच केन्द्र ही नहीं है। जब डाॅक्टर अल्ट्रासाउंड या एक्स-रे के लिए लिखते हैं, तो महिलाओं और तीमारदारों को जिला अस्पताल जाना पड़ता है। यही नहीं यहां पर नेत्र विभाग तो है लेकिन आंख का डाॅक्टर ही नहीं है। इस स्वास्थ्य केन्द्र पर 30 बेड होने चाहिए, लेकिन मौके पर सिर्फ 14 बेड ही हैं। सुविधाओं के अभाव में खून की जांच के लिए आने वाली महिलाओं को अक्सर महिला जिला अस्पताल में जांच करने की सलाह दी जाती है।

चौकाघाट सीएचसी केन्द्र का भी हाल कुछ ऐसा ही है। यहां पर भी एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। सेंटर पर आने वाले मरीजों को जिला या मंडलीय अस्पताल में भेज दिया जाता है। नाम न छापने की शर्त पर केन्द्र के एक अधिकारी ने बताया की एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड कराने के लिए यहां आने वाले मरीजों को जिला अस्पताल या फिर मंडलीय अस्पताल के लिए भेज दिया जा रहा है। हालांकि, इससे मरीज थोड़ा निराश होते हैं, लेकिन क्या किया जा सकता है? शासन स्तर से जब सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी तभी न हम लोग कुछ कर पाएंगे।

शहर में चलने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र

  • सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शिवपुर
  • सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र चैकाघाट
  • सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दुर्गाकुण्ड
  • सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र काशी विद्यापीठ
  • सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सारनाथ

इस बारे में जिले के सीएमओ संदीप कुमार चौधरी से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि शहर के जितने भी सीएचसी हैं, वहां के प्रभारियों से उनकी समस्याओं और जरूरतों के बारे में जानकारी मांगी जा रही हैं। जैसे ही जानकारी उपलब्ध हो जाती है, नए सिरे से कार्ययोजना तैयार करवाकर सभी व्यवस्थाएं दूर कर ली जाएंगी। इसके अलावा विद्यापीठ सीएचसी पर जमीन की कमी के कारण पूरी सुविधाएं शुरू नहीं हो पायी हैं, लेकिन इसका भी समाधान जल्द ही निकाल लिया जाएगा।

जिले में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनकर तैयार हैं, लेकिन जन सुविधाओं की कमी के कारण ये हाथी के दांत साबित हो रहे हैं। किसी केन्द्र पर खून जांच की सुविधा नहीं है तो किसी पर अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे की। किसी-किसी केन्द्र पर तो दोनों ही सुविधाएं नदारद हैं। ऐसे में आम जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार है कि उसे जनता-जनार्दन की समस्याओं की फिक्र ही नहीं है, वह तो आंकड़ों की हेराफेरी में व्यस्त है।

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