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बालासोर रेल दुर्घटना ने सरकार के सभी दावों की खोली पोल

 

रेल दुर्घटना में 288 यात्री मारे गए और करीब 12 सौ घायल

ओडिशा के बालासोर जिले में बीती रात भीषण रेल दुर्घटना हुई। यह खबर लिखे जाने तक 288 लोगों के मरने की पुष्टि की जा चुकी है जबकि करीब 12 सौ  लोग अब भी घायलावस्था में अस्पताल में भर्ती हैं। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ लगभग बचाव कार्य पूरा कर चुकी है। यह दुर्घटना उस समय हुई जब कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई की ओर जा रही थी और ट्रेन की कई बोगियां ट्रैक से उतरकर दूसरे ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। यात्री ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। कोरोमंडल के कई डिब्बे पटरियों पर ही पलट गए। बगल वाले ट्रैक पर उसी समय बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस जा रही थी जिसकी टक्कर ट्रैक पर पलटे कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से हो गई। जिसकी वजह से एक साथ तीन ट्रेनें हादसे का शिकार हो गई। यह घटना बालासोर जिले के बहंगा बाजार स्टेशन पर लूप पर खड़ी मालगाड़ी और स्टेशन पार कर रही तेज स्पीड यात्री गाड़ी को निकालने के लिए दिए गए सिग्नल में भ्रम की स्थिति बनने के चलते हुई।  टक्कर इतनी तेज थी की बोगियां हवा में उछल कर दूर जाकर गिरी। यह भारत में अब तक के सबसे बड़े ट्रेन हादसों में तीसरा सबसे बड़ा हादसा मान जा रहा है। दोनों ट्रेनों के सत्रह डिब्बे गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। रेल मंत्रालय ने दुर्घटना के कारणों की जांच के आदेश दिए हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ओडिशा के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव घटना स्थल का जायजा ले चुके हैं।

यह घटना एक बड़ी त्रासदी के रूप में दर्ज हो चुकी है। देश के रेलवे मंत्री और केंद्र की पूरी सरकार रेलवे को लेकर अपनी उपलब्धि का ढिंढोरा पीटते रहे हैं। वन्दे भारत का जश्न किसी चुनावी अभियान के हिस्से की तरह पोस्टर और उत्सव में बदल दिए गया है। अब जब कि उसी सरकार की ट्रेन ने सैकड़ो परिवारों को मातम और मर्सिये के हवाले कर दिया है तब क्या इस सरकार को, सरकार के रेलवे मंत्री को नैतिक रूप से इस देश से माफ़ी नहीं मागनी चाहिए? यह माफ़ी माँगने की बात इस लिहाज से जरूरी हो जाती है क्योंकि वन्दे भारत ट्रेन निर्माण के हेड सुधांशु मणि ने इस घटना के बाद कहा है कि हमें वन्दे भारत जैसी ट्रेन के निर्माण से ज्यादा जरूरत रेलवे की अब तक चल रही व्यवस्था को ठीक करने की है। उनके अनुसार अभी रेलवे ट्रैक वन्दे भारत ट्रेन की स्पीड के अनुरूप नहीं हैं। दूसरी ओर कवच के सुरक्षा चक्र से रेलवे की यात्रा को सुरक्षित करने की मुनादी पीटी जाती है और पूरा देश इस भ्रम का शिकार बना दिया जाता है कि रेलवे की यात्रा का संचालन अब सुरक्षित हाथो में है। तमाम जश्न के बीच अब जब की 288 लोग अपनी जान गँवा चुके हैं तब इस जश्न पर प्रश्नवाचक तो लगता ही है।

जहाँ यह ट्रेन दुर्घटना हुई उस ट्रेन रूट पर रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा के अनुसार किसी कवच की व्यवस्था ही नहीं है। भारतीय रेलवे का दावा है कि यह कवच सिस्टम ट्रेन के ड्राइवर को सतर्क कर सकता है, ब्रेक को नियंत्रित कर सकता है और उसी ट्रैक पर दूसरी ट्रेन की आशंका पर दोनों ट्रेनों को रोक सकता है। रेलवे का दावा है कि इस टेक्नोलॉजी से उसे जीरो एक्सीडेंट के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। इसके जरिए सिग्‍नल जंप करने पर ट्रेन खुद ही रुक जाएगी। इस सिस्टम को लगाने की अनुमानित लागत प्रति किलोमीटर 50 लाख है। ये सिस्टम तीन स्थितियों में काम करता है – जैसे कि हेड-ऑन टकराव, रियर-एंड टकराव, और सिग्नल खतरा। रेलवे द्वारा मिली जानकारी के अनुसार यह सिस्टम उच्च आवृत्ति वाले रेडियो संचार का उपयोग करके गति की जानकारी देता रहता है। पूर्व की सरकारों के समय यह तकनीक विकसित नहीं थी पर अब जबकि हमारे देश के पास यह सुरक्षा तंत्र मौजूद है तब इसका प्रयोग ना किया जाना सिर्फ दुखद ही नहीं है बल्कि यह रेलवे के अब तक के ढिंढोरे को अश्लील प्रोपोगैंडा बना देता है।

एक हादसे में इस तरह लोगों का मरना सिर्फ तकलीफ नहीं देता बल्कि गुस्सा भी पैदा करता है। जब बिना हेल्मेट के गाड़ी चलाने पर देश के आम नागरिक का चालान किया जा सकता है तो  क्या उपलब्ध सुरक्षा तंत्र को लागू किये बिना ट्रेन को चलाना सरकार की नियति और मंशा पर आरोप लगाने की छूट जनता को नहीं देगा।

हादसे का शिकार हुई ट्रेन के कुछ सौभाग्यशाली यात्री जो बच गए उनके मन में अब भी डर भरा हुआ है और शायद वह कभी उस डर से बाहर भी नहीं निकल पायेंगे।  जिनके परिजन इस हादसे में मर चुके हैं वह भविष्य में जब ट्रेन पर यात्रा करने की सोचेंगे तो यह हादसा उन्हें एक भय से भर देगा। अस्पताल के बाहर अपनो की तलाश में लोग भटक रहे थे। मुश्किल हालात में अपने परिजन की तलाश में जो लोग पंहुचे हैं वह अभी सिर्फ दर्द से भरे हुए हैं। जिन परिजनों को अपने यात्री परिजन ठीक-ठाक स्थिति में मिल गए हैं वह फिलहाल शांत हैं पर चेन्नई से आये हुए एक पिता के आंसू अब तक नहीं सूखे हैं वह अपनी बेटी के ज़िंदा होने की उम्मीद लिए अब भी इस अस्पताल से उस अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं। कितने शव इस हालत में हैं की उन्हें सही तरह से पहचानना मुश्किल हो रहा है। एक यात्री जो कमाने के लिए जा रहा था उसका एक पैर गंभीर रूप से छति-ग्रस्त हो चुका है। जहाँ घटना के हालात बताते हुए उसके मन का भय उसे रुला देता है वहीँ इस बात का दर्द भी पीछा नहीं छोड़ रहा है कि अब शेष जीवन अपने अपाहिज पैर के साथ कैसे अपने परिवार का पालन करेगा। बालासोर जिला अस्पताल और सोरो अस्पताल में घायलों का इलाज किया जा रहा है.  घायलों की मदद के लिए रात में 2,000 से अधिक लोग बालासोर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एकत्र हुए और उनमें से कई ने रक्तदान किया। मुर्दाघर में कफन में लिपटे शवों को लोग पहचानने के लिए परेशान दिखे। घटना स्थल पर बचाव कार्य पूरा हो चुका है, जो इस दुर्घटना में मर चुके हैं उनके परिजन उन्हें घरों तक ले जाने के लिए प्रयासरत हैं। घायलों में अब भी कुछ लोग गंभीर अवस्था में हैं जबकि सामन्य रूप से घायल हुए लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। बालासोर से लेकर गुवाहाटी तक अभी भी अफरातफरी का माहौल बना हुआ है। यह जख्म कब भरेंगे, लोगों के दर्द और आंसू कब ख़त्म होंगे इसका कयास लगाना भी फिलहाल मुश्किल है।

दुर्घटना के लिए जिम्मेवार माना जा रहा ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम क्या सिर्फ तकनीकी खराबी का मामला है या इसके लिए कोई मानवीय कारण भी जिम्मेवार है यह अभी जांच का विषय है। दुःख के इस समय में तमाम सवाल अपने अर्थ खो देते हैं पर यदि यह कोई मानवीय चूक है ती इसका भी कारण खंगाला जाना चाहिए। इस तरह की घटनाओं के पीछे यदि कर्मचारियों पर बढ़ता अतरिक्त काम का दबाव है तो उसे भी समझना होगा। इस तरह की त्रुटियों के लिए सरकार की कोई सीधी मंशा भले ही नहीं हो पर यदि नीतिगत स्तर पर कोई चूक हुई है तो उसका सही तरह से पता लगाया जाना चाहिए।

केंद्र की एनडीए सरकार 2014 से सत्ता में है और रेल व्यवस्था को लगातार आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की बात करती रही है। बुलेट ट्रेन सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है और वन्दे भारत सारकार की रेलवे के क्षेत्र में हासिल सबसे बड़ी उपलब्धि। यह दुर्घटना भारत की सबसे बड़ी रेल दुर्घटनाओं में से एक है। इस सरकार के शासन काल में 2014 से अब तक छोटी-बड़ी सब मिलाकर कुल 49 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें 785 लोगों की जान गई है और 2533 लोग घायल हुयें हैं। विकास की नई उंचाई छू लेने के सपने देखते राष्ट्र के लिए यह आंकड़े चिंता का विषय हैं। देश अभी ओडीशा ट्रेन दुर्घटना को लेकर सदमें में है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि दुर्घटना की जांच पूरी कर ली गई है और रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) जैसे ही अपनी रिपोर्ट देंगे तब सारी स्थितियां साफ हो जायेंगी। उन्होंने  कहा कि मरम्मत का काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है और एक मुख्य लाइन पर पटरियां पहले ही बिछाई जा चुकी हैं।

रेल मंत्री ने बताया कि दुर्घटना के करीब 300 पीड़ितों को मुआवजा दिया जा चुका है। उन्होंने सोरो हॉस्पिटल में मरीजों और चिकित्सकों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि हैदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु, रांची, कोलकाता तथा अन्य स्थानों से विशेष ट्रेन चलाई जा रही हैं ताकि मरीज इलाज के बाद आसानी से घर लौट सकें।

देश और दुनिया के नेताओं ने इस घटना को लेकर दिए हैं बयान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी– यह बहुत दर्दनाक और मन को विचलित करने वाला हादसा है। मृतकों के साथ मेरी गहरी संवेदना है। इस दुर्घटना में घायल लोगों के इलाज के लिए सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। जो परिजन हमने खोए हैं, उनको तो वापस नहीं ला सकते, लेकिन सरकार पीड़ित परिजनों के दुख में उनके साथ खड़ी है। सरकार के लिए ये घटना अत्यंत गंभीर है, हर प्रकार की जांच के निर्देश दिए गए हैं। जो भी दोषी पाया जाएगा उसे सख्त सजा दी जाएगी।

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी– मैं दुखी और व्यथित हूं। ओडिशा में भयानक ट्रेन दुर्घटना से मुझे सबसे ज्यादा दुख और पीड़ा हुई है। मैं सभी शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना और संवेदना व्यक्त करती हूं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे– ओडिशा में भयानक ट्रेन दुर्घटना के कारण गंभीर राष्ट्रीय त्रासदी की इस घड़ी में मैंने कांग्रेस पार्टी के पूरे संगठन को हर संभव और आवश्यक मदद करने का निर्देश दिया है।

राजद प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव– सावधानी नहीं बरती गई और इतनी बड़ी रेल दुर्घटना हो गई। इस हादसे की उच्च स्तरीय जांच की जाए। रेल को चौपट कर दिया। जो दोषी हैं, उन पर कार्रवाई की जाए। कोरोमंडल ट्रेन काफी खास ट्रेन है। यह ट्रेन चेन्नई जाती है। उस पर हम भी यात्रा कर चुके हैं। मृतकों के आश्रितों को दस-दस लाख तथा घायलों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।

सपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव- झूठी सरकार की झूठी तकनीक ने कितने लोगों की जान ले ली है। इसके लिए मंत्री से लेकर कंपनी तक सब जिम्मेदार हैं।

राहुल गांधी– ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के दुखद खबर से व्यथित हूं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं से आग्रह करता हूं कि बचाव के प्रयासों के लिए आवश्यक सभी सहायता प्रदान करें।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता बीएस हुड्डा– सरकार को मृतकों के परिजनों और घायलों को मुआवजा देना चाहिए। साथ ही दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए एक कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी का भी गठन किया जाना चाहिए।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी- यह इस सदी का सबसे बड़ा ट्रेन हादसा है और इसकी उचित जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके पीछे जरूर कुछ होगा। सच्चाई सामने आनी ही चाहिए। रेलगाड़ियों को टकराने से रोकने की प्रणाली ने काम क्यों नहीं किया। हादसे में मृतक पश्चिम बंगाल के यात्रियों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार- ओडिशा के बालासोर में बहनागा रेलवे स्टेशन के पास हुई रेल दुर्घटना में लोगों की मृत्यु अत्यंत दुःखद। इस घटना से मर्माहत हूं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना है।

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला- यह बहुत ही दुखद घटना है। कोई त्रुटी हुई है जिस कारण एक ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद दूसरी ट्रेन को नहीं रोका गया। दुर्घटना के कारणों की जांच एक स्वतंत्र सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराई जानी चाहिए।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल– ओडिशा रेल हादसे को लेकर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को नैतिकता के आधार पर पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। इस दुर्घटना से पूरे देश में शोक की लहर है। बीजेपी नैतिकता की बात करती है। इसलिए रेलमंत्री को तत्काल इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।

बीजेपी सांसद वरुण गांधी– दुर्घटना के पीड़ितों और उनके परिवार को पहले सहारा फिर न्याय मिलना चाहिए। यह दुर्घटना ह्रदय विदारक है। दुर्घटना से टूटे परिवारों के साथ हमें चट्टान की तरह खड़ा होना होगा। मैं अपने साथी सांसदों से आग्रह करता हूं कि पीड़ित परिवारों की मदद के लिए हमें अपने वेतन का एक हिस्सा देना चाहिए।

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी– इस दुर्घटना में सैकड़ों लोगों की जान चली गई। इस दर्दनाक हादसे ने सभी को रुला दिया है। ये लोग कहते हैं कि दुर्घटना रोकने के लिए कवच लगा रहे हैं। तीन ट्रेनें टकरा गईं। कहां है कवच?

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टॅलिन– इस दुर्घटना में तमिलनाडु के मृतक व्यक्ति के परिवार को तमिलनाडु सरकार द्वारा 5 लाख और घायलों को 1 लाख रूपये दिए जायेंगे। साथ ही बचाव और राहत कार्य के लिए अतिरिक्त अधिकारियों को नियुक्त किया गया है। राज्य सरकार ने आज एक दिन के शोक की घोषणा की है और सभी सरकारी समारोह रद्द कर दिए हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ– जिन्होंने अपने परिजनों को खोया है, उनके लिए मैं शोक संवेदना व्यक्त करता हूं।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन– मैं और (प्रथम महिला) जिल बाइडन भारत में हुए भीषण रेल हादसे के त्रासदीपूर्ण समाचार से दुखी हैं। हमारी संवेदनाएं इस भयानक घटना में घायल हुए और अपने प्रियजन को खो चुके लोगों के साथ हैं। अमेरिका और भारत के बीच गहरे पारिवारिक एवं सांस्कृतिक संबंध हैं, जो दोनों देशों को एकजुट करते हैं। पूरे अमेरिका के लोग भारतीयों के साथ इस दुख में शामिल हैं।

रूस के राष्ट्रपति कार्यालय ‘क्रेमलिन’ की वेबसाइट पर प्रकाशित ‘टेलीग्राम’ संदेश में कहा गया है कि ओडिशा में त्रासद ट्रेन दुर्घटना पर हमारी गहरी संवेदना स्वीकार करें। हम उन लोगों के दुख को साझा करते हैं जिन्होंने इस त्रासदी में अपने रिश्तेदारों और करीबियों को खो दिया और हम सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक– मेरी संवेदना प्रधानमंत्री मोदी, ओडिशा में दुखद घटना से प्रभावित सभी लोगों के साथ हैं। मारे गए लोगों के परिवार और दोस्तों के प्रति मैं गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। बचाव कार्य के लिए अथक प्रयास करने वालों की सराहना करता हूं।

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमेनुअल मैक्रों– फ्रांस भारत के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है। ओडिशा में हुए दुखद ट्रेन हादसे पर राष्ट्रपति मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी और भारत के लोगों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। फ्रांस आपके साथ एकजुटता से खड़ा है। मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रेल दुर्घटना पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी को अलग-अलग शोक संदेश भेजे। अपने संदेश में शी ने कहा कि वह दुर्घटना के बारे में जानकर स्तब्ध हैं, जिसमें भारी जन हानि हुई। चीन की सरकार और लोगों की ओर से, उन्होंने पीड़ितों के परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के अध्यक्ष चाबा कोरोशी ने ओडिशा में हुए भीषण ट्रेन हादसे को लेकर पीड़ित परिवारों के प्रति शोक जताया है। संरा महासभा के 77वें सत्र के अध्यक्ष कोरोशी ने कहा कि भारत के ओडिशा में ट्रेन दुर्घटना की खबर सुनकर मुझे गहरा दुख हुआ है। मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पीड़ितों, उनके परिवारों और आपातकालीन सेवाओं के साथ हैं।

प्रथम वंदे भारत ट्रेन बनाने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले सुधांशु मणि ने कहा कि हादसे में बड़े पैमाने पर यात्रियों के हताहत होने का प्राथमिक कारण ट्रेन का पहले पटरी से उतरना और दूसरी ट्रेन का उसी समय वहां से गुजरना था, जो काफी तेज गति से विपरित दिशा से आ रही थी। उन्होंने कहा कि यदि पहली ट्रेन केवल पटरी से उतरी होती तो इसके ‘एलएचबी’ डिब्बे नहीं पलटते और इतनी संख्या में यात्री हताहत नहीं होते। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं देखता कि चालक ने सिग्नल की अनदेखी की। यह (ट्रेन) सही मार्ग पर जा रही थी और डेटा लॉगर से प्रदर्शित होता है कि सिग्नल हरा था।

आपदा या अवसर ?

ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे में मृतकों के परिजनों और घायलों की चीख-पुकार ने देश को झकझोरकर रख दिया। रेल दुर्घटना के रूप आई इस आपदा पर यूनाइटेड नेशंस सहित सभी देश शोक प्रगट कर रहे हैं और हर संभव मदद का वादा कर रहे हैं। इसी दौरान इस आपदा से जुड़ा एक स्याह पहलू भी सामने आया है। आपदा को अवसर बनाने वालों ने मनुष्यता को ताक पर रख दिया है। उन्हें मृतकों के परिजनों और घायलों की चीख-पुकार में अपना मुनाफा सुनाई दे रहा है।

4 मार्च दिन शुक्रवार को शाम सात बजे बालासोर में हुए ट्रेन हादसे को एयरलाइंस कंपनियों ने आपदा में अवसर का रूप दे दिया है। ट्रेन हादसे के बाद से ही एयरलाइंस कंपनियों ने नई दिल्ली से भुवनेश्वर की फ्लाईट का किराया बढ़ाना शुरू कर दिया था, जबकि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सभी एयरलाइन कंपनियों से कहा है कि बालासोर ट्रेन हादसे के मृतकों के शव और उनके अवशेषों को उनके घर पहुंचाने में पूरा सहयोग दें। एयरलाइंस कंपनियों ने मंत्रालय की अपील को ताक पर रख दिया और मनमाने तरीके से किराया बढ़ा दिया।

सामान्य दिनों में नई दिली से भुवनेश्वर का हवाई किराया 6-8 हजार रहता है। शुक्रवार को हुए रेल हादसे के बाद यह किराया 25 हजार तक पहुंच गया। हादसे के अगले दिन शनिवार को रात 9:20 की नई दिल्ली से भुवनेशवर की वाया फ्लाईट का किराया 45 हजार तक पहुंच गया था। इस फ्लाईट के टेक ऑफ होने के बाद नई दिल्ली से भुवनेश्वर की अगली फलाईट का किराया 56 हजार तक पहुंच गया।

एयरलाइंस कंपनियों द्वारा मनमाने तरीके से किराया बढ़ाए जाने के बारे में ट्रेवल एजेंसी से जुड़े लोगों ने बताया कि घरेलू रूट पर किराए की अधिकतम कैप निर्धारित न होने से एयरलाइंस कंपनियां बेतहाशा तरीके से किराया बढ़ाती हैं। एयरलाइंस कंपनियों द्वारा मनमाने तरीके से बढ़ाए जा रहे किराए के संबंध में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने देश के विभन्न शहरों से भुवनेश्वर आने-जाने के रूट पर किराए में असामान्य बढ़ोत्तरी न करने की सलाह दी है। साथ ही ये भी कहा है कि एयरलाइंस कंपनियां असामान्य बढ़ोत्तरी पर नजर रखें और इसे रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएं।

गाँव के लोग डेस्क। 

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2 COMMENTS
  1. खबर में एक जगह 4 मार्च लिखा है। संभवतः वह 4 जून होगा। शीर्षक और खबर का विवरण एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं।

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