चुनावी दौर में पूर्वाञ्चल के गांवों के किसान अपनी समस्याओं को लेकर खदबदा रहे हैं और पिछले दस वर्षों से सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार के खिलाफ गुस्से से भरे हैं। विगत वर्षों में किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर देशव्यापी आंदोलन चलाया लेकिन सरकार से कोई ठोस आश्वासन मिलने की बजाय उनका दमन ही किया गया। इन बातों से किसानों के भीतर एक आक्रोश जमा हुआ है और उन्होंने सत्ता परिवर्तन का मन बना लिया है।
चुनाव के इस माहौल में मिर्ज़ापुरवासियों के मन में गहरी ऊहापोह चल रही है। पिछले दो बार से इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करनेवाली अनुप्रिया पटेल दो बार केंद्र में मंत्री रही हैं लेकिन व्यवसायियों का कहना है कि उन्होंने उनके हित में कुछ नहीं किया। फिलहाल वे ऐसे प्रतिनिधि को जिताने के बारे में सोच रहे हैं जो उनके शहर को नई रौनक से भर दे।
वाराणसी संसदीय क्षेत्र की रोहनिया विधानसभा का एक गाँव बैरवन पिछले एक साल से भय और अनिश्चितता के माहौल में जी रहा है। वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा बनाए जानेवाले ट्रांसपोर्ट नगर के लिए बैरवन को भी उजाड़ा जाना है। विडम्बना यह है कि कुछ किसानों ने बहुत पहले अपनी ज़मीनों का मुआवजा ले लिया जबकि अधिसंख्य किसानों ने नहीं लिया। जिन किसानों ने मुआवजा नहीं लिया है वे आंदोलन करके आज की दर से मुआवजा और पुनर्वास की मांग कर रहे हैं। इसी रस्साकशी का फायदा उठाकर वाराणसी विकास प्राधिकरण ने पिछले साल मई महीने में ज़मीनों पर कब्जा करना शुरू किया। इसका विरोध होने पर अगले दिन पुलिस ने गाँव में घुसकर लाठीचार्ज किया। एक साल बीतने और लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर इस गाँव के लोग क्या सोच रहे हैं?
सन 1950 से 1977 अर्थात 27 सालों में जनसंघ को सिर्फ छह प्रतिशत मतदाताओं ने पसंद किया था लेकिन 1963 के बाद डॉ. राम मनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसी राजनीतिक कदम के चलते शिवसेना से लेकर मुस्लिम लीग और जनसंघ जैसे घोर सांप्रदायिक दलों के साथ गठजोड़ की वजह से जनसंघ को बहुत लाभ हुआ। इस लेख में जाने-माने लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ सुरेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक विरासत के बहाने उनकी हताशा पर बात कर रहे हैं।
भाजपा के लिए भाजपा का संकल्प पत्र (घोषणापत्र ) आखिर कब काम आएगा ? क्या मोदी की गारंटी में इतना दम नहीं है कि उसके नाम पर वोट मांगे जा सकें? क्या नरेंद्र मोदी के 10 साल के कामों में इतना दम नहीं है कि उस काम के नाम पर वोट मांगे जा सकें?
सरकारी शिक्षण संस्थाओं को निजी हाथों में सौंपने के बाद देश के प्रधानमंत्री अब आरक्षण और संविधान को ही खत्म कर देने पर तुले हुए हैं। इसके लिए भाजपा को 400 के आंकड़े को पार करना होगा। भाजपा इसमें कितना कामयाब होती दिख रही है... पढ़िए एच एल दुसाध का लेख
जालौर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा गाँधी ने प्रधानमंत्री मोदी को कुछ खास लोगों से घिरा हुआ बताया। प्रियंका ने कहा खास लोगों से घिरे होने के कारण उन्हें जनता की समस्याएँ दिखाई नहीं दे रही हैं और प्रधानमंत्री जनता से पूरी तरह कट गए हैं।
यदि यह आरएसएस और भाजपा की सर्वे रिपोर्ट है तो भाजपा के लिए इस बार राह आसान नहीं रहने वाली है। क्या भाजपा 400 पार का नारा सिर्फ माहौल बनाने के लिए दे रही है?
केंद्र की राजनीति में भाजपा भले ही सबसे बड़े दल के रूप में स्थापित हो लेकिन जनता के लिए उसने केवल धार्मिक नेरेटिव गढ़ने के अलावा कोई काम नहीं किया। जिसके परिणामस्वरूप देश के हर धर्म में कट्टरता सिर चढ़कर बोल रही है।
गदर और क्रांति की धरती मेरठ में मोदी को राम का सहारा लेने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि अबकी चार साल से पक रहे किसान आंदोलन और राष्ट्रीय लोक दल के पालाबदल ने भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है।
एक तरफ भाजपा 400 पार का नारा दे रही है वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में पार्टी पहले चरण की आधे से अधिक सीटों पर फंसती नजर आ रही है। हाल की घटनाएं बताती हैं कि भाजपा के लिए राजस्थान में सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है।
वाराणसी संसदीय क्षेत्र में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अजय राय आमने-सामने हैं। मोदी से लगातार दो बार परास्त होने के बाद अजय राय इस बार जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं, क्या ये मुद्दे उन्हें संसद तक पहुंचा पाएंगे?
आज भाजपा ने 72 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची निकाल दी है। इसके पहले 3 मार्च को 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। जल्द ही चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आचार संहिता की घोषणा कर सकता है।
एक तरफ जहां देश के प्रधानमंत्री किसानों के हित की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ उनका आचरण किसान विरोधी नजर आता है। आजमगढ़ में किसानों की खड़ी फसल रौंद दी गई, अब जिला प्रशासन उचित मुआवजा देने में आनाकानी कर रहा है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सरकार से अपनी मांग पूरी करने के लिए आज जंतर मंतर पर प्रदर्शन के लिए एकत्रित हुईं, जहां पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
राजनीतिक गलियारों में लगाये जा रहे कयास को भाजपा ने कल प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर फ़िलहाल विराम लगा दिया है। इस लिस्ट में कुछ नए चेहरों को छोड़ बाकी पुराने प्रत्याशी ही मैदान में हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शनिवार को 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फिर वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे।