नर्गिस मोहम्मदी को इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है। उन्हें यह सम्मान ईरान में महिलाओं के शोषण के विरूद्ध और उनके मानवाधिकारों के लिए सतत संघर्ष के लिए दिया जा रहा है। यहां यह स्मरणीय है कि ईरान में महिलाओं का एक सशक्त आंदोलन तब प्रारंभ हुआ जब वहां की एक 22 वर्षीय युवती की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। इस महिला को ईरान की तथाकथित धार्मिक पुलिस गाईडेंस पेट्रोल द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
इस घटना के बाद ईरान की महिलाओं ने एक शक्तिशाली आंदोलन प्रारंभ किया। इस आंदोलन को कुचलने के प्रयास में बहुत से लोग मारे गए। मरने वालों में 44 नाबालिग भी थे। बीस हजार से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए।
पुरस्कार की घोषणा करते हुए इस बात का उल्लेख किया गया कि ईरान की धार्मिक सरकार द्वारा किस तरह देश में ऐसे लोगों के विरूद्ध भारी दमन चक्र चलाया जा रहा है जो सरकार की दमनकारी नीतियों के विरूद्ध सतत अभियान चला रहे थे। इस संघर्ष में नर्गिस ने पूरी हिम्मत के साथ भाग लिया था।
51 वर्षीय नर्गिस उन 137 व्यक्तियों में से एक हैं जिन्हें शांति स्थापित करने और शोषण के विरूद्ध संघर्ष के लिए यह उच्चतम पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह पुरस्कार सन् 1901 में स्थापित किया गया था। अब तक यह पुरस्कार नेल्सन मंडेला, मदर टेरेसा सहित कई महान हस्तियों को प्रदान किया जा चुका है। नर्गिस शांति पुरस्कार पाने वाली 19वीं महिला हैं और ईरान की दूसरी। ईरान की जिस दूसरी महिला को यह पुरस्कार प्रदान किया गया उनका नाम शीरीन एबादी हैं जिन्हें सन् 2003 में यह पुरस्कार मिला था।
मोहम्मदी कई वर्षों से महिलाओं पर होने वाली ज्यादतियों के विरूद्ध संघर्षरत हैं। वे इस समय 10 साल की सजा भुगत रही हैं। उन्हें ईरान की सरकार के विरूद्ध लगातार प्रचार करने के आरोप में सजा दी गई है। उनके तीन दशक लंबे संघर्ष के कारण ईरान में शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं के हित के कई सुधार हुए हैं। लेकिन इसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी है। उन्हें अपनी आजादी, इंजीनियरिंग का अपना प्रोफेशन और अपना परिवार – बहुत कुछ खोना पड़ा है। उनके पति, जो उनके संघर्ष में उनके सहयोगी रहे, और उनकी जुड़वां बेटियों को उनकी विचारधारा के चलते फ्रांस में निर्वासित जीवन बिताना पड़ रहा है। वे पिछले आठ वर्षों से अपने परिवार से नहीं मिलीं हैं।
उनके बेटे अली रहमानी कहते हैं कि उन्हें अपनी मां पर गर्व है। यह पुरस्कार सिर्फ मां के त्याग और बहादुरी का सम्मान नहीं है बल्कि यह पूरे ईरान की महिलाओं का सम्मान है।
मोहम्मदी अब तक 13 बार गिरफ्तार की जा चुकी हैं और पांच बार सजा भुगत चुकी हैं। उन्हें कुल मिलाकर अब तक 31 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। इसके अतिरिक्त उन्हें 154 कोड़ों की सजा भी दी गई है। जेल में रहते हुए भी वे ईरान और दुनिया की समस्याओं पर अपने क्रांतिकारी विचार व्यक्त करती रहती हैं। वे जेल से ही कई अभियान चलाती रहतीं हैं।
नोबल पुरस्कार मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि यह सम्मान मुझमें और जोश भरेगा भले ही मुझे पूरा जीवन जेल के सींखचों के पीछे बिताना पड़े। मैं ताजिंदगी लोकतांत्रिक अधिकारों, आजादी और समानता के लिए लड़ती रहूंगी। यह पुरस्कार मुझे और ज्यादा दृढ़ प्रतिज्ञ और आशावादी बनाएगा। मेरे संघर्ष को दी गई यह मान्यता ईरान के नागरिकों के बदलाव के लिए जारी संघर्ष को और तीव्र, मजबूत और संगठित बनाएगी। मुझे पूरा विश्वास है कि अंततः हमारी जीत होगी।