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नहीं रहे स्पिन के सरदार, प्रख्यात असमिया शिक्षाविद, गायक बीरेन्द्रनाथ दत्ता का भी निधन

नयी दिल्ली (भाषा)। जहां एक तरफ विश्वकप के मैच चल रहे हैं, वहीं आज भारत के पूर्व कप्तान और बाएं हाथ के देश के महानतम स्पिनर बिशन सिंह बेदी का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया। वे 77 वर्ष के थे। उन्होंने सोमवार की सुबह अपने घर मे अंतिम सांस ली। वे […]

नयी दिल्ली (भाषा)। जहां एक तरफ विश्वकप के मैच चल रहे हैं, वहीं आज भारत के पूर्व कप्तान और बाएं हाथ के देश के महानतम स्पिनर बिशन सिंह बेदी का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया। वे 77 वर्ष के थे।

उन्होंने सोमवार की सुबह अपने घर मे अंतिम सांस ली। वे बीमार चल  रहे थे और हाल में ही घुटने का ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद घुटने में संक्रमण फ़ाइल गया था। जो अंतिम समय तक ठीक नहीं हो सका था। उनके परिवार में पत्नी अंजू, बेटा अंगद और बेटी नेहा हैं।

अपने समय के लोकप्रिय और और धुरंधर खिलाड़ी का जन्म 1946 में अमृतसर में हुआ था। उन्होंने भारत के लिए 67 टेस्ट खेले और 266 विकेट लिए। उन्होंने पारी में 14 बार पांच विकेट और मैच में एक बार 10 विकेट चटकाने का कारनामा किया। वह भारतीय क्रिकेट के स्पिनरों की उस स्वर्णिम चौकड़ी का हिस्सा थे जिसमें उनके अलावा इरापल्ली प्रसन्ना, भागवत चंद्रशेखर और श्रीनिवास वेंकटराघवन शामिल थे।

वह 1966 और 1978 के बीच एक दशक से अधिक समय तक भारत की गेंदबाजी इकाई का प्रमुख हिस्सा रहे। बेदी 1990 में न्यूजीलैंड और इंग्लैंड दौरे के दौरान कुछ समय के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर थे। वह राष्ट्रीय चयनकर्ता होने के साथ मनिंदर सिंह और मुरली कार्तिक जैसे कई प्रतिभाशाली स्पिनरों के गुरु भी थे।

वे 1974 से 1982 तक सबसे लंबे समय तक दिल्ली रणजी टीम के कप्तान रहे और उनके नेतृत्व में यह टीम राष्ट्रीय क्रिकेट बड़ी ताकत बन बन कर उभरी। सबसे सफल भारतीय कप्तानों में से एक थे और उन्होंने मंसूर अली खान पटौदी के संन्यास बाद 1975 से 1979 के बीच भारतीय टेस्ट क्रिकेट का लगभग चार वर्षों तक नेतृत्व किया। वह अपने पूरे जीवन में सत्ता-विरोधी रहे और उनके विचार अक्सर सत्ता में बैठे लोगों पर सवाल उठाते रहे।

 

उनके निधन की खबर सार्वजनिक होते ही उनके चाहने वालों ने सोशल मीडिया पर शोक संवेदनाएं  व्यक्त कीं। क्रिकेट जगत की अनेक हस्तियों ने उनके खेल को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी।

भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिया, ‘बीसीसीआई ने भारत के पूर्व टेस्ट कप्तान और महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। इस कठिन समय में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।’
भारतीय क्रिकेट ने आज एक बड़ी हस्ती को खो दिया। बेदी सर ने क्रिकेट के एक युग को परिभाषित किया और उन्होंने एक स्पिन गेंदबाज के रूप में अपनी कलात्मकता और जज्बे से खेल पर एक अमिट छाप छोड़ी। इस कठिन समय में मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उनके परिवार और प्रियजनों के साथ हैं।

पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर- बिशन सिंह बेदी जी के निधन से बेहद दुखी हूं। क्रिकेट में उनके अतुलनीय योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। भगवान उनके परिवार और प्रियजनों को शक्ति दे।

मौजूदा खिलाड़ी रविचंद्रन अश्विन- महान बिशन सिंह बेदी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ, एक महान क्रिकेटर होने के अलावा, वह एक मिलनसार व्यक्ति थे और युवा क्रिकेटरों की मदद के लिए अतिरिक्त प्रयास करते थे।

पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन-  बिशन सिंह बेदी सर के निधन के बारे में सुनकर मुझे दुख हुआ। उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। उसकी आत्मा को शांति मिलें।

मौजूदा खिलाड़ी मोहम्मद सिराज- भारतीय क्रिकेट के एक दिग्गज। बिशन सिंह बेदी की आत्मा को शांति मिले।  उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी संवेदना है।

पूर्व खिलाड़ी सुरेश रैना-  क्रिकेट के दिग्गज बिशन सिंह बेदी जी के निधन से गहरा दुख हुआ। खेल पर उनका अतुलनीय प्रभाव है और इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना है।’’

भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज-  ‘स्पिन के सरदार’ अब नहीं रहे। बिशन सिंह बेदी जी के निधन की खबर से दुखी हूं। वह हमेशा भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में से एक रहेंगे। उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी संवेदनाएं।

गुवाहाटी (भाषा)। प्रख्यात शिक्षाविद, गायक और गीतकार बीरेंद्रनाथ दत्ता का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिवार ने यह जानकारी दी। 88 वर्षीय दत्ता के परिवार में पत्नी, बेटा और दो बेटियां हैं। दत्ता लंबे समय से वृद्धावस्था की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित थे और हाल ही में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

2009 में कला और साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किए गए दत्ता ने यहां बी बरूआ कॉलेज में एक शिक्षाविद के रूप में अपना करियर शुरू किया और गुवाहटी विश्वविद्यालय के लोकगीत अनुसंधान विभाग के प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त होने से पहले, राज्य के विभिन्न कॉलेजों में अध्यापन कार्य किया।

सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने तेजपुर विश्वविद्यालय में पारंपरिक संस्कृति और कला रूपों के विभाग में बतौर प्रोफेसर अपनी सेवाएं दीं।

एक प्रख्यात गीतकार के रूप में, दत्ता ने कई गीत लिखे और कई को खुद गाया भी। ‘बोहु दिन बोकुलेर गुंध पुवा नै’ उनके सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक है।

वह 2003 से दो कार्यकाल के लिए असम के प्रमुख साहित्यिक संगठन असम साहित्य सभा के अध्यक्ष और गौहाटी आर्टिस्ट गिल्ड के आजीवन सदस्य भी रहे। प्रतिष्ठित लेखक दत्ता की प्रमुख पुस्तकों में ‘पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक रूपरेखा’ और ‘संकर माधवर मनीषा अरु असोमर सांस्कृतिक उत्तराधिकार’ शामिल हैं।

मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने दत्ता के निधन पर शोक जताते हुए अपने संदेश में कहा कि भाषा विज्ञान और संस्कृति के प्रख्यात शोधकर्ता के निधन की खबर ने संस्कृति, कला और संगीत के क्षेत्र में एक बड़ा शून्य उत्पन्न कर दिया है।

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