आयुष्मान भारत योजना के तहत विभिन्न अस्पतालों में इजाल कराने वाले वाराणसी मंडल के 16 हजार से अधिक केस संदिग्ध पाए गए। इसके चलते इनके चिकित्सा पर खर्च हुए 15 करोड़ रूपए का भुगतान निरस्त हो गया। देखा जाय तो सबसे ज्यादा आपत्ति वाराणसी जिले से किए गए दावों पर आई है।
एक आंकड़े के मुताबिक वाराणसी के कुल 8495 दावों को रद्द किया गया जिनकी कुल राशि 7.27 करोड़ रूपए थी। यह कुल दावे का 7 प्रतिशत है। इसके बाद दूसरे नम्बर पर जौनपुर जिला है जहां के कुल 4551 दावे रद्द कर किए गए, जिनकी कुल राशि 3.71 करोड़ रूपए थी। यह कुल दावों का 8 प्रतिशत है। इसके बाद आता है चन्दौली जिला जहां के कुल 1963 दावे रद्द किए गए, जिनकी कुल राशि 2.90 करोड़ रूपए बनती थी। यह कुल रद्द दावों का 04 प्रतिशत है। वहीं गाजीपुर जिले के 1098 दावे जिसकी राशि 1.92 करोड़ रूपए थी, को भी रद्द कर दिया गया। इस प्रकार से देखा जाय तो जांच के दौरान वाराणसी मंडल में कुल 16107 केस संदिग्ध मिले हैं।
किन कारणों से संदिग्ध बने कार्ड धारक
कुछ कार्ड धारकों ने वह जांच कराई, जिसकी उन्हें जरूरत ही नहीं थी। तो किसी को अस्पताल में अधिक समय तक रखा गया। कई ऐसे केस पाए गए, जिसमें मरीज को ओपीडी में ही इलाज मिल सकता था, लेकिन उन्हें वार्ड में भर्ती कराया गया। कुछ ऐसे भी लोग मिले जिन्होंने वह जांच करवाई, जिसकी उन्हें जरूरत ही नहीं थी। नियमानुसार, देखा जाय तो गंभीर अवस्था में मरीज को कम से कम पांच दिन भर्ती होना चाहिए, लेकिन कई ऐसे मरीजों को दो-तीन दिन ही भर्ती दिखाया गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने पिछले छः साल में वाराणसी मंडल के 2.27 लाख क्लेम के लिए 219 करोड़ रूपए का भुगतान किया। इसमें सबसे अधिक वाराणसी 103.28 करोड़, जौनपुर में 57.99 करोड़, चन्दौली में 57.75 करोड़ और गाजीपुर में 38.50 करोड़ रूपए का भुगतान हुआ है।
आयुष्मान कार्ड धारको का क्लेम रिजेक्ट होने की बाबत बीएचयू के हृदय रोग के विभाग के प्रो ओमशंकर कहते हैं सबसे पहले तो सरकार को स्वास्थ्य विभाग का बजट बढ़ाना चाहिए। देखा जाय तो देश की इतनी बड़ी आबादी के लिए सिर्फ 6-7 हजार करोड़ का सलाना बजट बहुत कम है । यही नहीं यदि कोई निजी अस्पताल अनावश्यक रूप से बिल का चार्ज बढ़ाने के लिए अनाप शनाप जांच करवाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए।
इस बारे में वाराणसी जिले के सीएमओ संदीप चौधरी कहते हैं, जितने भी भुगतान रिजेक्ट हुए हैं वह यहाँ से नहीं लखनऊ से हुए हैं। क्लेम के बाद जाँच की प्रक्रिया होती है उसके बाद उस पर उचित कार्रवाई होती है।
आयुष्मान योजना और इसकी शुरुआत
भारत सरकार की एक स्वास्थ्य योजना है, जिसे 23 सितम्बर 2018 को पूरे भारत में लागू किया गया था। 2018 के बजट सत्र में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इस योजना की घोषणा की। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (बीपीएल धारक) को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। इसके अन्तर्गत आने वाले प्रत्येक परिवार को 5 लाख तक का कैशरहित स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जायेगा। 10 करोड़ बीपीएल धारक परिवार (लगभग 50 करोड़ लोग) इस योजना का प्रत्यक्ष लाभ उठा सकेंगे। इसके अलावा बाकी बची आबादी को भी इस योजना के अन्तर्गत लाने की योजना है।
इसका उद्देश्य व्यक्तियों और उनके परिवारों को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा प्रदान करना है ताकि लोग बिना किसी परेशानी के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त कर सकें। जिन्हें भी स्वास्थ्य सेवाएँ तक पहुंचना होता है, वे इस कार्ड का उपयोग कर सकते हैं। कार्ड में आपका पूरा मेडिकल इतिहास और स्वास्थ्य रिकॉर्ड भी होता है, जिसे बीमा कंपनियां और अस्पताल एक स्थान पर पहुँच सकते हैं।
इस योजना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रैल 2018 को भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती के दिन झारखंड के राँची जिले से आरम्भ किया।
किन अस्पतालों में होता है मान्य
अगर किसी गरीब व्यक्ति के पास आयुष्मान कार्ड है तो वह देश के सभी सरकारी अस्पतालों और कुछ सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा सकता है। लेकिन आज देखने में आ रहा है कि ज्यादातर निजी अस्पताल आयुष्मान कार्डधारकों का अपने यहाँ इलाज नहीं कर रहे हैं। इसके पीछे का कारण सरकार द्वारा अस्पतालों का भुगतान सही समय पर न करना बताया जा रहा है।
एक आंकड़े के अनुसार देश में 30 करोड़ लोगों के पास आयुष्मान कार्ड है। अकेले उत्तर प्रदेश में 4.8 करोड़ आयुष्मान कार्डधारी लोग हैं। वहीं मध्य प्रदेश में 3.8 करोड़ आयुष्मान कार्डधारी लोग हैं। महाराष्ट्र में 2.4 करोड़ और गुजरात में 2.3 करोड़ लोग आयुष्मान कार्ड वाले हैं।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब इतनी बड़ी संख्या में लोगों के पास कार्ड है तो स्वास्थ्य के नाम पर बजट इतना कम क्यों? कार्ड धारकों के हिसाब से यदि बजट नहीं रहेगा तो इसी तरह से लोगों का भुगतान रद्द होता रहेगा, जिसकी वजह से आयुष्मान की सेवा देने वाले अस्पताल इस माध्यम से सेवा देने से बचेंगे।