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कोविड के बाद वायरल बुखार से लोग परेशान, नहीं मिल पा रहा है सही इलाज

तेजी से बदल रहा मौसम लोगों की सेहत पर इस कदर असर डाल रहा है कि लगभग हर घर में एक से दो लोग वायरल फीवर की चपेट में हैं। पिछले बीस दिनों से मौसमी बीमारी का प्रकोप तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही शहरी और ग्रामीण इलाकों से हर दिन डेंगू के भी […]

तेजी से बदल रहा मौसम लोगों की सेहत पर इस कदर असर डाल रहा है कि लगभग हर घर में एक से दो लोग वायरल फीवर की चपेट में हैं। पिछले बीस दिनों से मौसमी बीमारी का प्रकोप तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही शहरी और ग्रामीण इलाकों से हर दिन डेंगू के भी मरीज मिल रहे हैं। स्थिति यह है कि सुबह अस्पताल का पर्चा काउंटर खुलने से पहले ही लोगों की लाइन लग जा रही है। मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा, शास्त्री अस्पताल रामनगर, दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल पांडेयपुर की ओपीडी में भीड़ कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। फिजिशियन से लेकर बाल रोग विभाग, चर्मरोग विभाग, चेस्ट फिजिशियिन की ओपीडी में लोग डॉक्टर को दिखाने के लिए परेशान हैं। किसी को तेज बुखार, जोड़ों में दर्द है तो कोई सर्दी, जुकाम और पेट की बीमारी से ग्रसित है। बीमारी किस कदर बढ़ी है, इसका अंदाजा अस्पतालों में हर दिन बढ़ती जा रही भीड़ को देख लगाया जा सकता है। अस्पतालों के वार्ड भी मरीज़ों से भर गए हैं। साथ ही पैथोलॉजी में भी जाँच के लिए लम्बी कतार लग रही है। डॉक्टरों के अनुसार, इस समय जरा-सी लापरवाही सेहत के लिए भारी पड़ सकती है। वहीं, बुखार ठीक होने के बाद भी मरीज़ों में सुस्ती और शरीर के जोड़ों का दर्द बना रह रहा है।

वाराणसी में कुछ मरीजों का हाल

केस 1- पत्रकार रविप्रकाश पिछले एक महीने में दूसरी बार बीमार हुए हैं। शरीर में जोड़ों के साथ आँखों के पीछे हो रहे दर्द से वह अभी तक परेशान हैं। ऑफिस से दोबारा मेडिकल लीव लेकर मंडलीय अस्पताल में इलाज करवाने के बाद डिस्चार्ज होकर नौ अक्टूबर को वह अपने घर पहुँचे। हालत में थोड़ा सुधार है लेकिन बदन दर्द से हिलना-डुलना भी मुश्किल हो गया है।

केस 2- सलारपुर निवासी गौतम विश्वकर्मा घर पर ही पौना-कड़ाही बनाने का काम करते हैं। वह भी पिछले एक माह से काम-कारोबार बंद कर अपना इलाज करा रहे हैं। एलोपैथिक से लेकर होमियापैथिक दवाइयों का सेवन करने के बावजूद गौतम को पहले जैसी राहत नहीं मिली है। उनकी हालत तब खस्ता हो गई जब पत्नी डॉली और बच्चे (मयूरी-शिवा) भी बीमार पड़ गए। जाँच रिपोर्ट निगेटिव आई।

केस 3- हुकुलगंज के मुकेश का परिवार भी लगभग 20 दिनों से वायरल बुखार की दवाइयाँ खा रहा है। सुबह तक तो सभी की हालत ठीक है लेकिन शाम होते ही पैर की एड़ियों से लेकर घुटने और जाँघ दर्द होने लग रहे हैं। मुकेश बताते हैं कि जब तक दवाइयों का असर है तब तक तो कोई दिक्कत नहीं हो रही हैं लेकिन आठ-दस घंटे बाद फिर से शारीरिक सुस्ती हो जा रही है।

केस 4- महमूरगंज स्थित एक प्राइवेट कम्पनी में काम कर रहे बिजलीकर्मी भोला का 14 वर्षीय बेटा राजेश दस दिन पहले स्कूल में बेंच पर लेट गया। जाँच में पता चला किया उसे 103 डिग्री बुखार है। अस्पताल प्रबंधन की सूचना पर भोला भागे-भागे स्कूल पहुँचे और वहाँ अपने बेटे को लेकर एक निजी अस्पताल गए। अस्पताल में राजेश का तीन दिन तक इलाज चला। घर आने के बाद भी राजेश के स्वास्थ्य में पहले जैसा सुधार नहीं हुआ है।

वाराणसी में महीने भर से वायरल बुखार, डेंगू और मलेरिया के प्रकोप से लोग परेशान हैं। वायरल और डेंगू के मरीजों में करीब 20 फीसदी को निमोनिया की समस्याएँ भी आ रही हैं। साथ ही उनके शरीर के जोड़ों में दर्द बना हुआ है। कोविड के बाद अब डेंगू और वायरल बुखार ने लोगों को दहशत व चिंता में डाल दिया है। हालत यह हो गई है कि अस्पताल या बाहर जाने पर लोग फिर से मास्क का उपयोग करने लगे हैं।

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इस बावत दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के सीएमएस डॉ. दिग्विजय सिंह ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की संख्या दस दिन से बढ़ी है। इस कारण इमरजेंसी से लेकर जनरल वार्ड तक भरे हुए हैं। जहाँ भी जगह मिल रही है, वहाँ मरीजों को भर्ती कर बेहतर इलाज किया जा रहा है। ओपीडी में दिखाने वालों के साथ ही पैथालॉजी में भी काउंटर पर भीड़ लग रही है। कोशिश यहीं की जा रही है कि समय से जाँच, इलाज की सुविधा सभी मरीजों को मिल सके।

वहीं, जिला चिकित्सालय के डॉ. एकता गुप्ता के अनुसार, यहाँ रोजाना ढाई से तीन सौ मरीज़ प्रतिदिन अपना इलाज कराने आ रहे हैं। इनमें से लगभग 40 प्रतिशत लोगों को भर्ती भी कर लिया जा रहा है। 24 से 72 घंटे की ट्रीटमेंट के बाद मरीज़ों को डिस्चार्ज किया जा रहा है। मरीज़ों में अधिकतर 5 वर्ष से 18 वर्ष के लोग हैं। कई मरीज़ तो ऐसे हैं जिन्हें ऑक्सीजन भी लगाने पड़ जा रहे हैं। डॉ. एकता के अनुसार, डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीज भी अस्पताल में आ रहे हैं।

वाराणसी स्थित मण्डलीय अस्पताल में भी कुल 263 मरीज़ वायरल सहित डेंगू और अन्य बीमारियों को लेकर भर्ती हुए हैं। एसआईसी डॉ. एसपी सिंह के अनुसार, इन मरीज़ों का इलाज अस्पताल की व्यवस्थाओं के तहत किया जा रहा है। रेफर के सवाल पर वह बताते हैं कि अभी तक वायरल वाले मरीज़ों को नहीं किया गया है। बताया कि ओपीडी में डॉक्टर मरीजों का बेहतर इलाज करने के साथ ही इमरजेंसी, अन्य वार्ड में तैनात स्टाफ को भर्ती मरीजों की बेहतर निगरानी की जा रही है।

वहीं, बीएचयू के चेस्ट विभाग के डॉक्टर दीपक शाह बताते हैं कि डेंगू और वायरल बुखार में फेफड़ा संक्रमण वाले मरीज आ रहे हैं। लोगों को सजग होने की जरूरत है। बुखार में मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खाने से बचें।

अस्पतालों में मरीजों और तीमारदारों को दी जा रहीं ये जानकारियां

  • अस्पतालों में होर्डिंग्स सहित अन्य माध्यमों से यह बताया जा रहा है कि प्लेटलेटस जब तक न हो 10 हजार से कम तब तक न चढ़वाएं।
  • तेज बुखार, जोड़ों में दर्द की समस्या होने पर किसी तरह की घबराहट न पैदा करें।
  • अस्पतालों में 24 घंटे पैथालॉजी में जांच की सुविधा है। इस वजह से डॉक्टर की सलाह पर जरूर जांच करवाएं।
  • मरीजों की समय-समय पर काउंसिलिंग कर बीमारी से जुड़ी सही जानकारी दी जा रही है।

अमन विश्वकर्मा गाँव के लोग डॉट कॉम के कला संपादक हैं।

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