वाराणसी। स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ और आज़ादी का अमृत महोत्सव के समापन के तीन दिवस पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के विचारों को आगे बढ़ाने वाले सर्व सेवा संघ की कई इमारतों को वाराणसी प्रशासन ने आज ढहा दिया। सर्व सेवा संघ परिसर में 12 बिल्डिंग को सुबह ही गिरा दिया गया। प्रशासन कुल 6 जेसीबी लेकर ध्वस्तीकरण के लिए परिसर के अंदर मौजूद है। संघ कार्यकर्ताओं ने विरोध भी किया। पुलिस ने 10 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है।
13 एकड़ में फैले परिसर में करीब 80 मकान बने हुए हैं। इनमें रहने के लिए मकान, ऑफिस और क्वाटर बने हैं। उन्हें एक-एक करके गिराया जा रहा है। परिसर में पुलिस प्रशासन और रेलवे के अधिकारी मौजूद हैं। विरोध करने के लिए महिलाएं भी पहुँचीं। वो रोती-बिलखतीं रहीं, लेकिन किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया। वहीं, सर्व सेवा संघ और कई दलों के लोग राजघाट स्थित परिसर के पास पहुंचे हैं। पदाधिकारियों ने नम आँखों से अपील करते हुए कहा कि देशभर के लोग एक अंतिम प्रयास करें, गांधी-विनोबा भावे की विरासत बचाने के लिए यहां पर पहुंचे।
बतादें कि इस बिल्डिंग को बचाने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत कई नेताओं ने आवाज उठाई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका खारिज होने के बाद प्रशासन आज इन बिल्डिंग्स को ढहा रहा है।
वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ परिसर को पहले ही खाली करा दिया गया था। यहां बसी कॉलोनियों और ऑफिस से लोगों को बाहर करके रेलवे ने अपनी संपत्ति का बोर्ड भी लगा दिया था। परिसर में एक पोस्ट ऑफिस भी है। इसे गिराने के लिए कल तक की मोहलत दी गई है। आज पोस्ट ऑफिस का सामान शिफ्ट किया जा रहा है।
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जानकारी के अनुसार, शनिवार की सुबह करीब 8 बजे सर्व सेवा संघ पर पुलिस पहुंच गई। पूरे एरिया को घेर लिया गया। करीब 9 बजे यहां प्रशासन के कई अफसर भी पहुंच गए। विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं को समझाने के बाद उन्हें परिसर से दूर ले जाया गया। बुलडोजर ने करीब 10 बजे ध्वस्तीकरण शुरू किया गया। एक बिल्डिंग गिराई जा रही है।
विरोध कर रहे कार्यकर्ता नंदलाल मास्टर, जागृति राही, डॉ. अनूप श्रमिक, तारकेश्वर, अनूप आचार्य, अरविंद कुशवाहा, ध्रुव, अवनीश, फ़ादर आनंद और रामधीरज को हिरासत में ले लिया गया है। दूसरी तरफ, काशी में हो रहे बुलडोजर एक्शन के खिलाफ शनिवार को देशभर में सर्वोदय कार्यकर्ता एक दिन का उपवास रखकर विरोध जता रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं की मानें तो ‘सबको यह बात जरूर मालूम होनी चाहिए कि जिस न्यायाधीश की अदालत में मुक़दमा लंबित था और जिसने थोड़ी राहत दी थी, उसका ट्रांसफर कर दिया गया है। प्रशासन ने जान-बूझकर आज ही यानी शनिवार का दिन इसलिए चुना है कि अगले दिन रविवार और उसके बाद स्वतंत्रता दिवस की तैयारी, फिर 15 अगस्त की छुट्टी होने के नाते कोई सुनवाई न हो पाए। स्वतंत्रता दिवस की सुरक्षा के नाम पर किसी तरह के प्रोटेस्ट को अनुमति न मिल पाए।
बनारस प्रशासन, देश की सरकार और देश के मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो कि वाराणसी से सांसद भी हैं, के इशारे पर उन महापुरुषों की विरासत पर जेसीबी चलवा रही है, जिनके आगे विदेशों में जाकर फूल चढ़ाते हैं और उनके कसीदे पढ़ते हैं। सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने कहा कि गांधी के विचारों की द्योतक इस विरासत पर बुलडोज़र चढ़ाने वाला उतना ही दोषी है, जितना कि गांधी की हत्या करने वाला गोडसे। एक ने गांधी के नश्वर शरीर की हत्या कर दी तो दूसरा गांधी के अमर विचारों को समाप्त करने पर अमादा है।
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ज्ञातव्य हो कि दो दिन पहले किसान राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटेकर ने सर्व सेवा संघ परिसर को बचाने के लिए जोर-शोर से आवाज उठाई थी। राकेश टिकैत ने कहा था कि यदि सरकार ने बुलडोजर चलाया तो अपने ट्रैक्टर हम दिल्ली के आगे बनारस भी मोड़ सकते हैं। जमीन बचाने को लेकर पिछले करीब 80 दिन से सर्व सेवा संघ के लोगों ने जीतोड़ धरना-प्रदर्शन किया। जमीन के कई कागज भी दिखाए, मगर सारे दावे नकार दिए गए।
बुलडोजर और पुलिस बल के साथ सर्व सेवा संघ परिसर पहुंचे प्रशासनिक और रेलवे के अधिकारियों ने 22 जुलाई को सामान बाहर निकलवा दिया था। लाइब्रेरी की काफी किताबें बाहर फेंक दी गईं थीं। आठ लोगों को हिरासत में ले लिया गया था।
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शांति भंग में चालान किया गया। यहां के करीब 50 आवास और चार संग्रहालयों को खाली कराया। जमीन पर संघ के मालिकाना दावे को जिलाधिकारी कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दिया था। इसके बाद रेलवे प्रशासन ने जमीन से कब्जा हटाने और भवन ध्वस्त करने का नोटिस चस्पा कर दिया था।
इस मामले में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्विट किया है कि ‘प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गांधी, JP और लाल बहादुर शास्त्री जैसे महापुरुषों की विरासत से जुड़े सर्व सेवा संघ पर बुल्डोज़र चलना शर्मनाक है। गांधी की विरासत को हड़पने और नष्ट करने के प्रयास पहले गुजरात के साबरमती आश्रम और वर्धा के गांधीग्राम में हो चुके हैं। अब वाराणसी के सर्व सेवा संघ को हड़पकर पूंजीपतियों को सौंपने की तैयारी है। हम इसकी भर्त्सना करते हैं। भाजपा अब बेशर्मी की सारी हदें पार कर रही है।’
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गांधी, JP और लाल बहादुर शास्त्री जैसे महापुरुषों की विरासत से जुड़े सर्व सेवा संघ पर बुल्डोज़र चलना शर्मनाक है।
गांधी की विरासत को हड़पने और नष्ट करने के प्रयास पहले गुजरात के साबरमती आश्रम और वर्धा के गांधीग्राम में हो चुके हैं। अब… https://t.co/kOsnoznyPD
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 12, 2023
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ज्ञात हो कि 22 जुलाई, 2023 को राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ के राजघाट परिसर पर वाराणसी कमिश्नर कौशल राज शर्मा के निर्देश पर एसडीएम, सदर जयदेव सीएस और रेलवे अधिकारी आकाशदीप सिंह के नेतृत्व में अवैध कब्जा कर लिया गया।
इसकी पृष्ठभूमि 10 अप्रैल को तैयार कर ली गई थी जब उत्तर रेलवे की ओर से एक पिटीशन दर्ज कराया गया था। सर्व सेवा संघ के अधिवक्ता भुवन मोहन श्रीवास्तव ने जब विसंगतियों को स्पष्ट किया तो बाद में इसमें छेड़छाड़ कर मूलवाद को बदलकर इसे दुरुस्त कर लिया गया। सत्यापित प्रतिलिपि में इस फर्जीवाड़ा का जब पता चला तब सीआरपीसी धारा 340 के तहत एसडीएम न्यायालय में सर्व सेवा संघ की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया, जिसे नहीं सुना गया और एसडीएम ने इसे भी रेलवे के मुकदमे के साथ डिस्पोज कर दिया।
रेलवे के इसी मुकदमे को आधार बनाकर 22 जुलाई, 2023 को रेलवे प्रशासन में वाराणसी कमिश्नर के सहयोग से सर्व सेवा संघ की परिसंपत्ति पर कब्जा जमा लिया।