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ग्राउंड रिपोर्ट

क्लाइमेट ऐक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने वापस लिया पश्मीना मार्च का कॉल, लेह को वॉर जोन में बदलने का लगाया आरोप

सोनम वांगचुक कहते हैं, 'सरकार को सिर्फ एक ही चिंता है कि चीन द्वारा किए गए अतिक्रमण का असर सरकार और वोटों पर न पड़े, कॉर्पोरेट्स के हित प्रभावित न हों। सरकार को सिर्फ कॉर्पोरेट और वोटों की फिक्र है, लोगों की नहीं, सुरक्षा की नहीं।'   

7 अप्रैल को लेह में प्रस्तावित पश्मीना मार्च को लेह अपेक्स बॉडी ने वापस ले लिया है। सोनम वांगचुक ने एक्स पर इसकी जानकारी दी है। आपको बता दें कि पश्मीना मार्च के आह्वान को देखते हुए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लेह जिले में धारा 144 लगा दी गई है। अपेक्स बॉडी लेह के तत्वावधान में भारत के मशहूर शिक्षा सुधारक एवं क्लाइमेट ऐक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने पश्मीना मार्च का आह्वान किया था। 7 अप्रैल को लेह-लद्दाख की जनता के भारी संख्या में इस मार्च में शामिल होने की संभावना थी। सोनम वांगचुक के अनुसार इस मार्च में 10,000 लोगों के हिस्सा लेने की संभावना थी। 

सोनम वांगचुक के अनुसार पश्मीना मार्च के आयोजन का उद्देश्य भारत-चीन सीमा पर स्थित चांगथंग चारागाह की वर्तमान स्थति को देश-दुनिया के सामने लाना था। सोनम वांगचुक ने वीडियो जारी कर बताया कि हम देश और दुनिया को लद्दाख का सच दिखाना चाहते हैं। कैसे ये चारागाह भूमि यहां के स्थानीय लोगों के लिए कम होती जा रही है, एक तरफ ये चारागाह भूमि कॉर्पोरेट को सौंपी जा रही है तो दूसरी तरफ चीन इस चारागाह भूमि पर अतिक्रमण कर लगातार अपने कब्जे में ले रहा है। सोनम वांगचुक के अनुसार लद्दाख की स्थानीय जनता 1,50,000 वर्ग किमी की चारागाह भूमि को अब तक गंवा चुकी है।

7 अप्रैल को प्रस्तावित पश्मीना मार्च के मद्देनजर लद्दाख प्रशासन ने कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। लेह में धारा 144 लगा दी गई है। पुलिस ने अगले 24 घंटों के लिए इंटरनेट स्पीड को 2G तक सीमित करने का आदेश जारी कर दिया है। 6 अप्रैल शाम 6 बजे से लद्दाख में 3G, 4G, 5G और वाई-फ़ाई सुविधा को अस्थाई रूप निलंबित कर देने का आदेश है। लेह के जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति रैली, जुलूस या मार्च नहीं निकाल सकता। लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने के लिए भी अनुमति की जरूरत होगी। 

 

Sonam wangchuk laddakh protest democracy suspended
पुलिस-प्रशासन द्वारा जारी किए गए आदेश

सोनम वांगचुक ने वीडियो जारी कर बताया, ‘युवाओं और कार्यकर्ताओं को पकड़कर उनसे मुचलके भरवाए जा रहे हैं, कार्यकर्ताओं को धमकाया जा रहा है। जिला पुलिस कार्यालय लेह से जारी आदेश का हवाला देते हुए वे कहते हैं- लद्दाख के लोगों को लेह में घुसने से रोकने के लिए लेह शहर को छावनी में तब्दील करने के प्रयास जारी हैं, लेह की तरफ आने वाले हर रास्ते पर नाकेबंदी की जा रही है, मार्च को रोकने के लिए पुलिस आंसू गैस, स्मोक ग्रेनेड का प्रयोग करने की तैयारी कर रही है। लेह को वॉर जोन में बदला जा रहा है। 

सरकार को सिर्फ वोटों की चिंता

सोनम वांगचुक आरोप लगाते हैं, ‘ सरकार को न तो राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता है, न सैनिकों की चिंता है और यहां के स्थानीय लोगों की तो बिल्कुल भी चिंता नहीं है। पिछले 21 दिनों के अनशन में सरकार ने लद्दाख के लोगों को पूरी तरह अनसुना किया।’

सरकार को सिर्फ एक ही चिंता है कि चीन द्वारा किए गए अतिक्रमण का असर सरकार और वोटों पर न पड़े, कॉर्पोरेट्स के हित प्रभावित न हों। सरकार को सिर्फ कॉर्पोरेट और वोटों की फिक्र है, लोगों की नहीं, सुरक्षा की नहीं।    

जानकारी के लिए बता दें, अपनी मागों को लेकर पिछले 32 दिनों से लद्दाख की जनता का प्रदर्शन जारी है। सोनम वांगचुक 21 दिन अनशन कर चुके हैं। उनके बाद 10 दिन तक लद्दाख की महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन का मोर्चा संभाला। आने वाले 10 दिनों के लिए विरोध प्रदर्शन की कमान युवाओं के हाथों में है। 

Ladakh people Demand 6th schedule

लद्दाख के लोगों की दो प्रमुख मांगें हैं। पहली मांग है, ‘लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए तथा दूसरी मांग लद्दाख को संविधान की छठवीं अनुसूची में शामिल करते हुए लद्दाख को जनजातीय दर्जा दिया जाए।’

इसके अलावा वर्तमान में लद्दाख में एक लोकसभा सीट ही है, लोगों की मांग है कि लेह और कारगिल दोनों को अलग-अलग लोकसभा सीट बनाया जाए। स्थानीय लोगों के लिए लद्दाख में नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था की जाए।

 

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