फतेहपुर। 11 अप्रैल वृहस्पतिवार को फतेहपुर की अरबपुर कॉलोनी तथा बांदा सागर रोड स्थित राजतिलक निवास में महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती के अवसर पर एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में उनके विचारों को आत्मसात करने की बात की गई।
इस अवसर पर पूर्व सभासद और सामाजिक कार्यकर्ता धीरज कुमार ने कहा कि ज्योतिबा फुले सामाजिक क्रांति के अग्रदूत थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में समाज के सभी वर्गों के लिए संघर्ष किया और अंधविश्वास उन्मूलन कार्यक्रम चलाया। दलितों और वंचितों के लिए सत्यशोधक संगठन की स्थापना की। उन्होंने शिक्षा के महत्व को देखते हुए सबसे पहले अपनी पत्नी को शिक्षित करने का काम किया और पति-पत्नी दोनों लोगों ने मिलकर समाज में शिक्षा की ज्योति जलाई।
बैठक में उपस्थित विजय बक्शी ने कहा ज्योतिबा फुले अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर महिलाओं के लिए शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी क्रांति की। उन्होंने साल 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए देश का पहला स्कूल खोला। सितम्बर 1873 में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व पिछड़े और अछूतों के उत्थान के लिए इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समर्थक थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे।
इस अवसर पर बोलते हुए मालती वाल्मीकि ने कहा कि ज्योतिबा फुले लगातार भारतीय समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई और बाल विवाह का खुलकर विरोध करते रहे। वे विधवा विवाह के समर्थक थे। बाल विवाह को दूर करने और विधवा विवाह के समर्थन के कारण उन्हें कई प्रकार की मुसीबतों का सामना भी करना पड़ा।
बैठक में पूर्व सभासद धीरज कुमार, विजय बक्शी, रोहित, संगीता, संजय कुमार, ताराचंद्री, संतोष कुमार, मनोज कुमार साजन, सुनील शेखर, राहुल कुमार और अखिलेश कुमार मौजूद रहे।
वहीं, दूसरी ओर राज तिलक निवास स्थान बांदा सागर रोड अरबपुर में भी ज्योतिबा फुले जयंती मनाई गई। इस अवसर पर बोलते हुए रवि कुमार ने कहा कि लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका न मिलने पर उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री फुले को इस योग्य बना दिया। कुछ लोगों ने आरम्भ से ही उनके काम में बाधा डालने की चेष्टा की, किंतु जब फुले आगे बढ़ते ही गए तो उनके पिता पर दबाब डालकर पति-पत्नी को घर से निकलवा दिया। उनके काम में बाधाएं तो बहुत आयीं लेकिन उसका उन्होंने डटकर मुकाबला किया और शीघ्र ही उन्होंने एक के बाद एक बालिकाओं के तीन स्कूल खोल दिए। इस दौरान वहां पर मोनू, जय कुमार, राज विनय, आशु, जय, प्रियंका, साक्षी जैसे अनेक लोग उपस्थित रहे।