न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह, आज 84 वां दिन
गांधी की विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 84 वां दिन है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका- संविधान को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर ‘न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह’ जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा। सत्याग्रह आज सर्वधर्म प्रार्थना एवं गीता पाठ के साथ अपने 84 वें पायदान पर पहुँच गया है।
आज गांधीवादी कार्यकर्ताओं ने स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को अपनी श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि देते हुए जागृति राही ने कहा कि उनकी सादगी, ईमानदारी और राष्ट्र के प्रति निष्ठा अतुलनीय है। संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने एक समावेशी भारत के निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दिया तथा सभी विचारधाराओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने में सफल रहे। डॉ भीमराव अंबेडकर,जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल का साथ लेकर भारत को एक संविधान समर्पित किया जो हमारी धरोहर है।
आज उपवासकर्ताओं में केरल सर्वोदय मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष टीकेएस अजीज, सोनभद्र से युवा समाजसेवी प्रशांत कुमार दुबे एवं जोखन सिंह यादव शामिल हैं। जोखन सिंह यादव जब भी बनारस में होते हैं तो वे उपवास पर रहते हैं। अब तक उन्होंने 8 दिन उपवास रखा है। उन्हें कसक है कि अगर पहले से पता होता तो 100 के 100 दिन उपवास पर रहता।
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टीके एस अजीज केरल के कालीकट जिले के रहने वाले है। 62 वर्षीय अजीज बीए पास करने के बाद गांधी विचार से जुड़े। विख्यात गांधीवादी एमपी मनमदन की प्रेरणा से वे गांधी शांति प्रतिष्ठान से जुड़ गए और वे वर्तमान में गांधी युवा मंडल, केरल तथा केरल सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष हैं।
टीके एस अजीज का कहना है कि सर्व सेवा संघ का यह परिसर भारत की धरोहर है। इसे नष्ट करने के बारे में कोई कैसे सोच सकता है? जो सोचता है वह भारत की परंपरा और संस्कृति से एकदम अलग है।आज की सरकार गिरावट से प्रतिस्पर्धा में शामिल हो गई है। इसलिए इसका गिरना जारी है। इस फिसलन को रोकना हम सब की जिम्मेवारी है और यह राष्ट्रीय हित में होगा।
सोनभद्र, उत्तर प्रदेश से आए युवा समाजसेवी प्रशांत कुमार दुबे की शिक्षा-दीक्षा मध्यप्रदेश से हुई। वे डिप्लोमा के साथ-साथ ग्रेजुएट हैं। अपने गांव में रहकर गरीब और दुखी लोगों की मदद के हमेशा तत्पर रहते हैं। उनकी वैचारिक पृष्टभूमि गाँधीवादी है। इनके दादाजी दिवंगत केदारनाथ दुबे 1942 में आजाद हिंद फौज में भर्ती होकर देश की सेवा में लग गए थे। द्वितीय विश्व युद्ध के समय 1945 मे भारत और बर्मा के युद्ध में शामिल हुए और उनके बाएं पैर में गोली लग गई। उनको 1946 में फौज से अनफिट कर हटा दिया गया। प्रशांत को अपने दादाजी पर गर्व है और उनकी स्मृतियां हमेशा उन्हें प्रेरित करती रहती है।
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आज सत्याग्रह में उपवासकर्ता टीकेएस अजीज, प्रशांत कुमार दुबे और जोखन सिंह यादव के अलावा उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज, वरिष्ठ गांधीवादी विद्याधर,लोक समिति के प्रमुख नंदलाल मास्टर, गांधीवादी एक्टिविस्ट जागृति राही, सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद अंजुम, सुरेंद्र नारायण सिंह, समाज सेविका सिस्टर फ्लोरीन, तारकेश्वर सिंह, केरल सर्वोदय मंडल के पवित्रण, कठपुतली विशेषज्ञ मिथिलेश दुबे, पूर्वांचल बहुजन मोर्चा के अनूप श्रमिक,केरल से सुरेश बाबू व पवित्रण,बिहार से मगधाचल समग्र विकास समिति के संजय रघुवर, रामजी साव,महेंद्र कुमार, एक कदम गांधी की ओर के सत्यप्रकाश भारत आदि शामिल रहे।