कोलकाता/चंडीगढ़। इंडिया गठबंधन (इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस) को उस समय झटका लगा जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा की कि उनकी पार्टी कांग्रेस से गठबंदन नहीं करेगी। ममता बनर्जी का यह बयान कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने से एक दिन पहले आया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच सीटों के बंटवारे पर चल रहे टकराव के बीच आज अचानक घोषणा की कि उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल में अकेले लोकसभा चुनाव में उतरेगी। कुछ इसी तरह की घोषणा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने की है। सीटों के बंटवारे पर चर्चा को लेकर मीडिया में आ रही खबरों का भी खंडन किया और कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर कांग्रेस में किसी से भी बात नहीं की है।
ममता बनर्जी ने हावड़ा जिले में दुमुरजला हैलीपैड पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘मैंने उन्हें (कांग्रेस को) सीटों के बंटवारे पर एक प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने शुरू में ही इसे नकार दिया। हमारी पार्टी ने अब बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।’ बनर्जी ने यह भी कहा कि पार्टी का राज्य में कांग्रेस से कोई रिश्ता नहीं होगा।
आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा से टकराने के लिए कुल 28 विपक्षी दलों ने ‘इंडिया’ गठबंधन का गठन किया था।
सूत्रों के अनुसार, ममता की पार्टी की ओर से 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए उसे केवल दो सीट देने की पेशकश की गयी है जिसे लेकर दोनों दलों के बीच खींचतान बढ़ गयी है। पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीट हैं।
पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के साथ गतिरोध के बीच कांग्रेस ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के बिना विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की कल्पना नहीं की जा सकती।’
पार्टी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान असम के उत्तरी सलमारा में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से बातचीत में यह उम्मीद भी जताई कि पश्चिम बंगाल में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ एकसाथ चुनाव लड़ेगा।
रमेश ने कहा, ‘आपने ममता जी का पूरा बयान नहीं पढ़ा है। पूरा बयान है कि हम भाजपा को हराना चाहते हैं और भाजपा को हराने के लिए कोई कदम पीछे नहीं लेंगे। उसी भावना के साथ हम (भारत जोड़ो न्याय यात्रा) पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर रहे हैं।’
भाजपा ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया में दावा किया कि बनर्जी का फैसला उनकी हताशा को दर्शाता है और यह ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए ‘मौत की घंटी’ के समान होगा।
दूसरी तरफ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में कहा कि उनकी आम आदमी पार्टी (आप) आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी। पंजाब के मुख्यमंत्री ने यह दावा भी दोहराया कि ‘आप’ राज्य की सभी 13 लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करेगी।
ममता बनर्जी ने कहा, ‘कांग्रेस अपने दम पर 300 सीटों पर चुनाव लड़ ले। क्षेत्रीय दल एकजुट हैं और बाकी सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, हम बंगाल में उनके (कांग्रेस) किसी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’ उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव होने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर अपनी रणनीति तैयार करेगी।
ममता बनर्जी ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्तर पर हम ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा होने के नाते चुनाव के बाद अपनी रणनीति तय करेंगे। भाजपा को हराने के लिए जो करना होगा, हम करेंगे।’
राहुल गांधी की अगुवाई वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के बारे में उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने उन्हें राज्य में यात्रा के कार्यक्रम के बारे में सूचित नहीं किया है। यह यात्रा बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगी। ममता ने कहा, ‘शिष्टाचार के नाते, क्या उन्होंने (कांग्रेस) मुझे बताया कि वे यात्रा के लिए बंगाल आ रहे हैं? मुझे इसकी जानकारी नहीं है।’
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और टीएमसी के मुखर आलोचक माने जाने वाले अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी से सीटों के लिए ‘भीख’ नहीं मांगेगी।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने 22 जबकि कांग्रेस ने दो सीटे जीती थी जबकि भाजपा को 18 सीट मिली थी।
तृणमूल कांग्रेस हाल में ‘इंडिया’ गठबंधन की डिजिटल माध्यम से आयोजित बैठक से दूर रही थी और उसने कांग्रेस के लिए बंगाल में अपनी सीमाओं को पहचानने की आवश्यकता और राज्य की राजनीतिक लड़ाई का नेतृत्व टीएमसी को करने देने की आवश्यकता पर जोर दिया था।
पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने संबंधी बयान ऐसे समय दिया है जब आप और कांग्रेस के बीच आम चुनाव के लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गोवा और गुजरात में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है।
हालांकि, आप ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है। कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी के गठबंधन से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए मान ने कहा कि उन्होंने कई बार कहा है कि ‘पंजाब देश में नायक के रूप में उभरेगा और 2024 के लोकसभा चुनावों में आप सभी 13 सीट जीतेगी।’
यह पूछे जाने पर कि क्या यह स्पष्ट है कि कांग्रेस के साथ ‘आप’ चुनावी गठबंधन नहीं करेगी। इस सवाल पर मान ने कहा, ‘हम उनके (कांग्रेस) साथ नहीं जाएंगे।’
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पंजाब में आठ सीटें जीती थीं, वहीं शिरोमणि अकाली दल और भाजपा ने दो-दो तथा आप ने एक सीट पर जीत हासिल की थी। मान और आप के कई नेता लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ किसी भी समझौते का विरोध कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के लिए भाजपा के सह-प्रभारी और पार्टी के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का ममता बनर्जी का फैसला हताशा का संकेत है। अपनी राजनीतिक जमीन बचाने में असमर्थ होने के कारण वह सभी सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है ताकि चुनाव के बाद भी उनकी प्रासंगिकता बनी रहे।’
इस बीच नई दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने बुधवार को दावा किया कि कांग्रेस ने सीट बंटवारे पर बातचीत में देरी की और जमीनी हकीकत को समझे बिना सीट-बंटवारे पर अतर्कसंगत मांगें रखीं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तृणमूल कांग्रेस ‘पिछले दरवाजे से शिष्टाचार’ वार्ता करने के लिए तैयार है लेकिन कोई समझौता होने की उम्मीद बमुश्किल ही बची है।
तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी ने कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में दो लोकसभा सीट की पेशकश की थी और तीसरी सीट के लिए बातचीत को तैयार थी, बशर्ते कांग्रेस मेघालय और असम में तृणमूल कांग्रेस को कुछ सीट देने पर सहमत हो जाती।
वहीं, शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि ममता बनर्जी ‘शेरनी’ की तरह लड़ रही हैं और उनके राज्य के लिए उनकी लड़ाई महत्वपूर्ण है।
उधर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार नीत खेमे ने कहा कि बनर्जी की घोषणा किसी ‘रणनीति’ का हिस्सा हो सकती है और ‘इंडिया’ गठबंधन भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा है।
बहरहाल, जो भी हो ममता बनर्जी और भगवंत मान के बयानों के राजनीतिक गलियारे में अपने अपने कयास लगाये जा रहे हैं। राष्ट्रवादी कॉंग्रेस पार्टी के लोग ममता के इस बयान को एक दबाव बनाने की प्रक्रिया के रूप में देख रहे है। चुनाव के पहले ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो वक्त ही बताएगा।