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विवाह पंजीकरण के लिए विकलांग महिला को दूसरी मंजिल पर बुलाया, अधिकारी निलंबित

मुंबई (भाषा)।देश के 26 मिलियन विकलांगों को विकास की आम धारा में शामिल करने के लिए  3 दिसंबर, 2015 को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर  भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुगम्य भारत अभियान की शुरुआत की गई थी।  इस योजना के तहत समूचे देश के तमाम राज्यों और शहरों से संबद्ध सरकारी भवनों […]

मुंबई (भाषा)।देश के 26 मिलियन विकलांगों को विकास की आम धारा में शामिल करने के लिए  3 दिसंबर, 2015 को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर  भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुगम्य भारत अभियान की शुरुआत की गई थी।  इस योजना के तहत समूचे देश के तमाम राज्यों और शहरों से संबद्ध सरकारी भवनों और सड़क पर सरपट दौड़ने वाले सार्वजनिक परिवहनों और तमाम वेबसाइटों सहित संचार क्षेत्र में इस तरह से परिवर्तन किए जाएंगे ताकि अशक्त एवं विकलांग जन भी इसे आसानी से अपने उपयोग में ले सकेंट।इसके तहत तमाम सरकारी भवनों, सड़कों, सड़क परिवहन की सुविधाओं, स्कूल परिसरों के भीतर एवं बाहर की सुविधाओं के साथ साथ अस्पताल और घरों में भी निशक्त जनों के लिहाज से माहौल तैयार किया जाएं ताकि वो खुद को भी विकास की धारा में खड़ा पाएं और खुद को किसी से कमजोर न आंक पाएं।
सुगम्य भारत अभियान महज एक तबके पर केंद्रीत अभियान न होकर समूचे समाज के हित में बनाया गया अभियान है। इसे सफल बनाने के लिए सरकार, कॉर्पोरेट दुनिया, अर्कीटेक्ट, संचार विशेषज्ञों, इंजीनियरों सहित सभी नागरिक इसके स्टेकहोल्डर माने गए हैं।हालांकि मेट्रो शहरों में निशक्त एवं विकलांग जनों को कुछ बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन इस योजना का उद्देश्य यह है कि देशभर के कोने – कोने में रह रहे विकलांग लोगों को बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों में वो तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं जो उनके भीतर अधिकारों से वंचित रह जाने की भावना का संचार न होने दे।लेकिन  धरातली स्तर पर यह योजना फेल होती नजर आ रही है । बात चाहे बस अड्डों  की करें या  रेलवे स्टेशनों  या फिर सरकारी भवनों,अस्पतालों, शिक्षण संस्थानों की हो ,कहीं  भी विकलांग लोगों के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं रहती और इसी का एक उदाहरण मुंबई देखने और सुनने को मिला
दिव्यांग महिला को शादी के पंजीकरण के लिए मुंबई के खार में विवाह पंजीयक के दूसरी मंजिल पर स्थित कार्यालय में जाने के लिए मजबूर करने के मामले में एक विवाह अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है।

महाराष्ट्र राजस्व विभाग ने बुधवार को एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी कर अधिकारी अरुण घोडेकर को निलंबित कर दिया।

व्हील चेयर का उपयोग करने वाली और खुद को दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता बताने वाली विराली मोदी ने पिछले हफ्ते सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में टि्वटर) पर एक पोस्ट में दावा किया था कि उन्हें उनकी शादी के दिन शहर में विवाह पंजीयक (रजिस्ट्रार) के दूसरी मंजिल स्थित कार्यालय जाना पड़ा क्योंकि इमारत में कोई लिफ्ट नहीं थी और अधिकारियों ने औपचारिकताएं पूरी करने के लिए नीचे आने से इनकार कर दिया।

उन्होंने पूछा, ‘यह कैसे उचित है? सुगम्य  भारत अभियान का क्या हुआ? सिर्फ इसलिए कि मैं व्हीलचेयर का इस्तेमाल करती हूं, क्या मुझे उस व्यक्ति से शादी करने का अधिकार नहीं है जिससे मैं प्यार करती हूं? अगर कोई फिसल गया होता तो क्या होता और अगर मैं अपनी शादी के दिन गिर जाती तो क्या होता? कौन जिम्मेदार है?’

कई बार साझा किए गए पोस्ट पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रतिक्रिया भी आई थी और उन्होंने घटना पर खेद जताया था। उन्होंने “सुधारात्मक एवं उचित कार्रवाई” करने का आश्वासन भी दिया।

जीआर में राज्य के राजस्व  विभाग ने कहा कि सरकारी अधिकारी घोडेकर ने जोर देकर कहा कि दिव्यांग महिला अपने और अपने पति की उंगलियों के निशान एवं तस्वीरें कंप्यूटर पर दर्ज कराने के लिए दूसरी मंजिल पर आए।

इसमें कहा गया, ‘विशेष विवाह अधिनियम 1954 में ऐसे प्रावधान हैं जहां विवाह अधिकारी को विवाह पंजीकरण कार्यालय से उचित दूरी पर विवाह स्थल पर जाना होगा। सरकारी अधिकारियों को जवाब देना होगा और कमजोर वर्गों को सेवा प्रदान करनी होगी।

जीआर में कहा गया, ‘विराली मोदी और उनके पति क्षितिज नायक के करीबी लोगों ने घोडेकर को फोन किया और उनसे विवाह पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करने के लिए नीचे आने का अनुरोध किया। लेकिन घोडेकर ने जोर देकर कहा कि वे इमारत की दूसरी मंजिल पर आएं, जहां कोई लिफ्ट नहीं थी। सेवा नियमों का उल्लंघन एवं अभद्र व्यवहार करने के कारण अरुण घोडेकर अगले आदेश तक निलंबित रहेंगे।’

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