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ओबीसी, अल्पसंख्यकों के लिए स्टालिन ने की आंतरिक आरक्षण की वकालत

चेन्नई (भाषा)।  कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ संसद में हाल ही में पारित महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने के लिए संघर्ष करेगा। द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली […]

चेन्नई (भाषा)।  कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ संसद में हाल ही में पारित महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने के लिए संघर्ष करेगा।

द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के लिए अपनी एकता की अपील को दोहराया। उन्होंने विधायी निकायों में महिलाओं के आरक्षण में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यकों के लिए आंतरिक आरक्षण का समर्थन करते हुए भाजपा पर ‘साजिश’ करने का आरोप लगाया।

उन्होंने शनिवार को यहां राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक द्वारा आयोजित महिला ‘अधिकार सम्मेलन’ में कहा, ‘विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ महज एक चुनावी गठबंधन नहीं है, बल्कि यह एक वैचारिक गठबंधन है।’

इस कार्यक्रम में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, महबूबा मुफ्ती और सुप्रिया सुले समेत विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की प्रमुख महिला नेता शामिल हुईं।

स्टालिन ने कहा कि भाजपा को केवल एकता से हराया जा सकता है और तमिलनाडु ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे रास्ता दिखा दिया था। उन्होंने कहा, ‘तमिलनाडु जैसा एक-एक संयुक्त गठबंधन देशभर के हर राज्य में होना चाहिए।’

सोनिया गांधी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, ‘पिछले नौ वर्षों में नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से महिलाओं को केवल पितृसत्तात्मक ढांचे में उनकी प्रतिबंधित, पारंपरिक भूमिका में ही गिनती और सराहना की जाने वाली प्रतीकों में बदलने का निरंतर प्रयास के रूप में देखा गया है।’

उनके पति, दिवंगत राजीव गांधी स्थानीय स्वशासन अर्थात् पंचायती राज में महिलाओं के लिए ऐतिहासिक 33 प्रतिशत आरक्षण लाए, जिसने जमीनी स्तर पर महिला नेतृत्व को एक तरह से नए परिदृश्य को बढ़ावा दिया।

उन्होंने कहा कि यह विधायी निकायों में एक तिहाई सीट पर आरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस संसद के भीतर और बाहर (महिला आरक्षण की) पथप्रदर्शक रही है।

गांधी ने कहा, ‘अब महिला आरक्षण विधेयक अंतत: ‘सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि हम सभी की अथक दृढ़ता और प्रयासों’ के कारण पारित हो सका है। लेकिन हम सभी जानते हैं कि इस दिशा में अब भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।’

उन्होंने विधेयक के वास्तविक कार्यान्वयन पर विपक्षी सांसदों द्वारा संसद में किए गए हस्तक्षेप को रेखांकित किया कि क्या इस पर अमल एक साल, दो साल या तीन साल में होगा?

उन्होंने कहा, ‘हमें कोई अंदाज़ा नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि कुछ पुरुष खुश हैं, हम खुश नहीं हैं, हम महिलाएं खुश नहीं हैं।’

उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ महिला आरक्षण अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए संघर्ष करेगा। उन्होंने कहा, ‘हम इसके (आरक्षण के) लिए तब तक लड़ते रहेंगे जब तक हमें वह हासिल नहीं हो जाता, चाहे आप पुरुषों को यह पसंद हो या नहीं।’

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के दूसरे कार्यकाल में पेश किया गया महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया था, लेकिन आम सहमति की कमी के कारण इसे लोकसभा में लाया नहीं जा सका था।

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