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सच्ची रामायण
यह महज अफगानिस्तान का मसला नहीं है, डायरी (1 सितंबर, 2021)
मुझे सपनों को दर्ज करने की आदत रही है। वैसे तो रात में अनेक सपने आते हैं (कभी कभी नहीं भी आते हैं)। अधिकांश...
मुझे गर्व है कि मैंने पेरियार ललई सिंह यादव को देखा था
आज बहुत से लेखक और उनकी रचनाएँ चर्चा में है। नए-नए लेखक नयी-नयी रचनाओं के साथ सामने आ रहे हैं, अपने समाज के नायकों की खोज और उन पर लिखने के प्रति रुझान भी इस दौरान विकसित हुआ है। किंतु ललाई सिंह जैसे जन-नायक पर कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ है। नई पीढ़ी उनके जीवन-संघर्ष, रचना-कर्म और शोषण-मुक्त समाज के निर्माण में उनकी भूमिका के बारे में बहुत कम जानती है|