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संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर विश्वास लायक नहीं हैं संघ और मोदी
लोकसभा चुनावी भाषणों में अराक्षण और संविधान को लेकर मोदी और संघ के सुर इधर बदले हुए सुनाई दे रहे हैं लेकिन वास्तविकता यही है कि आरएसएस और भाजपा का निर्माण हिंदुत्ववादी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए हुआ। इस कारण संघ अपने जन्मकाल से लेकर आज तक लोकतंत्र, संविधान, सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता का स्वाभाविक हिमायती न बन सका। आज भी 400 सीट पाने का मुख्य उद्देश्य आसानी से संविधान में बदलाव करते हुए आरक्षण को पूरी तरह से खत्म करना है।
ब्राह्मणों ने आरक्षण को अपनी गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम बना दिया है
सर्वोच्च न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए नौकरियों और विभिन्न शिक्षण संस्थानों के दाखिले में 10 प्रतिशत आरक्षण के संवैधानिक संशोधन...
मोहित करने के साथ ही असहमति की भी जगह बनाता है प्रकाश झा का सिनेमा
प्रकाश झा समाज सापेक्ष और सार्थक सिनेमा के सिद्धहस्त रचनाकार रहे हैं। उन्होंने सत्यजीत रे और मुजफ्फर अली की भांति अपने गृह प्रदेश बिहार के ज्वलंत मुद्दों और समस्याओं पर बेहतरीन फिल्में बनाई और एक बड़े दर्शक वर्ग को प्रभावित और जागरूक करने का काम किया। डाक्यूमेंटरी फिल्मों, धारावाहिकों और फिल्मों जैसी कई विधाओं मे काम करके उन्होंने सिनेमा जैसे दृश्य-श्रव्य माध्यम को समृद्ध करने का काम किया।
दलित लेखकों-विचारकों की वैचारिक दरिद्रता डायरी (26 अगस्त, 2021)
बचपन वाकई अलहदा था। अहसास ही नहीं होता था कि इंसान-इंसान के बीच कोई भेद होता है। भेद के नाम पर केवल इतना ही...

