वर्ष 2014 के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक ताकतों के साथ भगवाकरण की राजनीति ने जोर पकड़ा है। देश के बड़े विवि से लेकर विद्यालयों तक में इसका असर देखने को मिल रहा है। इन संस्थानों में नियुक्ति से लेकर पाठ्यक्रम तक का खुल कर भगवाकरण किया जा रहा है। जो इस रंग में नहीं रंगे उन्हें देशद्रोही और अर्बन नक्सली कह जेल में डाल दिया गया। यही स्थिति पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाला इलाहाबाद केन्द्रीय विवि की है, जहां 27 नवंबर को होने वाले दीक्षांत समारोह में विवि की रेक्टर माननीया आनंदी बेन पटेल को आमंत्रित न कर सांप्रदायिक बयान देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आमंत्रित किया गया है। जिसका सभी छात्र दल विरोध कर रहे हैं।
जेएनयूएसयू चुनावों के लिए नामांकन को अंतिम रूप दे दिया गया है। क्या भाजपा की छात्र इकाई एबीवीपी को वामपंथी संगठन इस बार भी रोकने में कामयाब हो पायेंगे?
शिक्षा और रोजगार संबंधी मुद्दों पर मोदी सरकार के 10 साल के कामकाज पर यह जनमत संग्रह कराया गया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं और युवाओं ने मतदान के माध्यम से मौजूदा सरकार के कामकाज पर अपना पक्ष रखा।
दरभंगा। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के दलित स्कॉलर रोहित वेमुला की शहादत दिवस पर आइसा के तत्वावधान में लोहिया चरण सिंह कॉलेज परिसर में विचार-गोष्ठी...
'मोदी सरकार के दस साल और यंग इंडिया के दस सवाल' के नाम से इन छात्रों ने एक अभियान शुरू किया है। इसमें उनके ऐसे शिक्षकों का भी बराबर योगदान है, जो नरेंद्र मोदी की सरकार से जवाबदेही सुनिश्चित करना चाहते हैं। सरकार से सवाल करने की कमान ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (आइसा) ने अपने हाथ में ले ली है।