संविधान की बदौलत रिजर्वेशन से जो अधिकारी उच्च पदों पर चले जाते हैं, उनमें से कुछ तो अपने ही गांव, घर, परिवार या सगे-संबंधियों से ही घमंड के कारण उन्हें मान-सम्मान न देते हुए मानवीय मूल्यों को ताक पर रख देते हैं। साधारण इंसान भी इन्हीं अधिकारियोंं को अपना आदर्श मानते हुए खुद भी जातीय मानसिकता से ग्रसित हो जाता है।
पहले जो लोग पचास-साठ बकरे पालते थे अब वे बीस-पचीस भी मुश्किल से पाल रहे हैं। इसका असर पूरे मार्केट पर पड़ा है। पहले बहुत बड़े पैमाने पर मुर्गियाँ पालते थे लेकिन कोरोना की वजह से इसमें भारी गिरावट आई और यह धंधा अभी तक संभल नहीं पाया है। राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश आदि में बकरी पालन कम हो रहा है क्योंकि उधर से बकरियाँ कम आ रही हैं।