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बोधगया : महाबोधि मंदिर को ब्रह्मणवाद के कब्जे से मुक्ति जरूरी क्यों है?
आज खुलेआम धर्म का इस्तेमाल राजनैतिक एजेन्डे को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। बौद्ध मंदिर का संचालन ब्राम्हणवादी तौर-तरीकों से हो रहा है और सूफी दरगाहों का ब्राम्हणीकरण किया जा रहा है। बौद्ध भिक्षु अपने पवित्र स्थान का संचालन उनकी अपनी आस्थाओं और मानकों के अनुसार करना चाहते हैं और उसके ब्राम्हणीकरण का विरोध कर रहे हैं।
प्रो. वीर भारत तलवार को पढ़ते हुए, (डायरी 25 अप्रैल, 2022)
प्रो. वीर भारत तलवार को पढ़ना मतलब एक साथ कई कालखंडों के लांग ड्राइव पर निकल जाना होता है। सामान्य तौर पर ज़िन्दगी इतना...
गाडगे महाराज की यात्राओं के बारे में आप कितना जानते हैं? (डायरी 23 फरवरी, 2022)
यात्राएं मानव सभ्यता के विकास में सबसे अहम रही हैं। अगर यात्राएं न होतीं तो मानव सभ्यता का विकास असंभव था। फिर चाहे वह...
मक्खलि गोशाल और बुद्ध डायरी (31 जुलाई, 2021)
जीवन में प्रश्नों की महत्वपूर्ण भूमिका है। बाजदफा तो लगता है कि प्रश्न और जीवन दोनों एक-दूसरे के पर्याय हैं। प्रश्नों को यदि प्राणवायु...

