संत गाडगे झाड़ू लेकर गांव-गांव घूमते थे। जहां जाते, वहीं सफाई में जुट जाते। सब आश्चर्य करते कि यह आदमी कहीं पागल तो नहीं है जो सफाई करता फिरता है। लेकिन गाडगे जानते थे कि जिस तरह मन का मैल साफ करना जरूरी है, उसी तरह अपने आसपास को साफ रखना महत्वपूर्ण है। वह दौर भी बहुत खतरनाक। गंदगी की वजह से तब प्लेग और हैजा आदि महामारियों से बस्ती की बस्ती काल के गाल में समा जाती थी। गाडगे हमेशा कहते कि मनुष्यता ही सच्चा धर्म है। मनुष्य होना सबसे महान लक्ष्य है। इसलिए मनुष्य बनो। भूखे को रोटी दो। बेघर को आसरा दो। पर्यावरण की रक्षा करो।
एक बार यह सवाल मेरे एक साथी ने पूछा था कि आखिर बिहार में भूमिहार कुछ खास जगहों पर ही क्यों हैं और ये कौन हैं जो व्यवहार तो ब्राह्मणों की तरह करते हैं लेकिन खुद को ब्राह्मण कहलाने से बचते हैं? तब मैंने अपने साथी को बताया था कि यह सब बुद्ध के कारण हुआ। ब्राह्मण बड़े चालाक होते हैं। सियासी भाषा में कहिए तो मरहूम रामविलास पासवान या फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जैसे मौसम विज्ञानी। नीतीश कुमार का जिक्र इसलिए कि वे इन दिनों देश के राष्ट्रपति बनने की मुहिम में जुटे हैं और इसके लिए कई तरह के पैंतरे आजमा रहे हैं।

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