दिल्ली विधानसभा में हुई करारी शिकस्त ने आम आदमी पार्टी के भविष्य पर अनेक सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं। अरविंद केजरीवाल की विचारहीन राजनीति और सामाजिक मुद्दों से परहेज ने पहले ही आम आदमी पार्टी की छवि भाजपा की बी टीम के रूप में बना दी थी। रही-सही कसर शराब घोटाले ने निकाल दी जिसके कारण अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को लंबे समय जेल में रहना पड़ा और आप का संगठन बिखराव तथा दिशाहीनता का शिकार होता गया। राजनीतिक विश्लेषक इन सभी हालात को लेकर कहने लगे हैं कि अरविंद केजरीवाल स्वयं अपने ही ताने-बाने में उलझकर रह गए। दिल्ली चुनाव के बहाने आम आदमी पार्टी और उसकी राजनीतिक संस्कृति का जायजा ले रहे हैं मनीष शर्मा।
गरीबों, शोषितों और अल्पसंख्यकों के घरों पर आज बुलडोजर चलाया जा रहा है । यह बीजेपी-आरएसएस की उन्हें डरा धमकाकर वोट हासिल करने की रणनीति का एक हिस्सा है ।
बीस राजनानैतिक दलों ने चुनावी बॉन्ड से चन्दा उगाही की है। केवल माकपा ने चंदा भी नहीं लिया और कोर्ट में इस गोरखधंधा को उजागर करने के लिए चुनौती दी है।सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड रद्द करते हुए मतदाताओं के पक्ष में कहते हुए फैसला दिया कि कंपनियां भारी फंडिंग करती है, तो क्या निर्वाचित लोग मतदाताओं के प्रति उत्तरदायी होंगे?
देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव भी चल रहे थे, लेकिन जैसे ही पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त हुए उसी के साथ पेट्रोलियम कंपनियों ने डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ाने शुरू कर दिए। केंद्र सरकार ने जितनी एक्साइज ड्यूटी कम की थी उससे कहीं अधिक दाम पेट्रोलियम कंपनियों ने बढ़ा दिए।