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बातों-बातों में यह क्या कह गईं बेबी रानी मौर्य
बेबी रानी मौर्य के बयान ने अपने सरकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। एक ओर जहां बीजेपी कानून व्यवस्था के बारे में...
कोई बिगड़े तो ऐसे, बिगाड़े तो ऐसे! (राजेन्द्र यादव का मूल्यांकन और स्मरण)
(राजेन्द्र यादव का मूल्यांकन और स्मरण)कोई बिगाड़ने वाला हो तो साहित्यकार राजेंद्र यादव एवं उनकी हंस जैसा, और बिगाड़े तो ऐसे जैसे राजेन्द्र दा...
विमल, कंवल और उर्मिलेश (पांचवां और अंतिम भाग) डायरी (21 अगस्त, 2021)
किसी भी संज्ञा के आकलन के लिए कुछ पारामीटर आवश्यक हैं और आकलन जरूरी होते हैं क्योंकि आकलन नहीं करने का मतलब यह होता...
जेलों में यातना की अंतहीन कहानियाँ
भारतीय जेलें पुलिस महकमे की भागीदारी के बिना अधूरी ही मानी जायेंगी। यह तथ्य किसी से छिपा नही है कि आज भी पुलिस-प्रशासन का जेण्डर दृष्टिकोण सामन्ती और पिछड़ा है। यहां तक कि महिला पुलिस अधिकारी और कर्मचारी भी उन्हीं महिला विरोधी मानदण्डों और गालियों का प्रयोग बेधड़क करती हैं जो कि पुरुषों द्वारा किये जाते हैं। यहां पर सवर्ण पितृसत्तात्मक मानसिकता का इतना अधिक प्रभाव होता है कि पुलिसकर्मी महिला मामलों को संवेदनशील तरीके हल करने में सक्षम नहीं होते हैं। अधिकांश तो महिला को अपराधी सिद्ध कर देने भर की ड्यूटी तक ही सीमित रहते हैं। कई बार यह देखा गया है कि महिला पुलिसकर्मी पुरुषवादी दृष्टिकोण से महिला अपराधियों के साथ ज्यादा अमानवीय और अभद्र व्यवहार करती हैं।
भूटान में प्रकृति और जीवन मन को मोह लेते है
चीन के तिब्बत और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से सटा भूटान, मूलतः भोटांत अर्थात भोट (तिब्बत) का अन्त, यानी अंतिम छोर है। यहां के...