बेबी रानी मौर्य के बयान ने अपने सरकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। एक ओर जहां बीजेपी कानून व्यवस्था के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करती है, वहीं पूर्व राज्यपाल एवं बीजेपी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य ने कानून व्यवस्था की पोल खोल दी है। वाराणसी के बजरडीहा में आयोजित वाल्मीकि महोत्सव के कार्यक्रम में बेबी रानी मौर्य ने कहा कि महिलाएं रात में थाने में न जाएं, सुबह भी अपने पति या पिता के साथ थाने में जाएं। आखिर सवाल यह उठता है कि सुरक्षा, शिकायत एवं बचाव के लिए लोग थाना जाते हैं एवं उनको उम्मीद होती है कि थाने में उनकी बात सुनी जाएगी, लेकिन यह बयान कानून व्यवस्था की पोल खोल रहा है। आखिर क्या महिलाओं को रात में थाना में खतरा है? क्या महिलाओं को पुलिसकर्मियों से खतरा है?
हाथरस कांड में पुलिस का वह हंसता चेहरा शायद ही कोई भूला होगा। उत्तर प्रदेश पुलिस ने रातों-रात पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया था। सफदरगंज अस्पताल में पीड़िता के मौत के बाद पुलिस ने रात में ही पीड़िता का शव गांव ले जाकर परिवार की गैरमौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया था।
इसके अलावा उन्नाव कांड में भी पुलिस के द्वारा किए गए कृत्यों ने कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया। उन्नाव कांड में भी पीड़ित परिवार द्वारा आरोप लगाया गया था कि रेप प्रकरण को माखी थाने की पुलिस ने साजिशन दबा दिया था। कचहरी से पेशी से लौटे पीड़िता के पिता की भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल ने साथियों संग मिलकर पिटाई की थी। जिसके बाद जिला अस्पताल में उपचार के दौरान पीड़िता के पिता की मौत हो गई थी। जब इसकी जांच सीबीआई द्वारा की गई और पीड़िता के पिता पर रिपोर्ट दर्ज कराने वाले उसके चचेरे भाई को गिरफ्तार किया तब हकीकत सामने आई और फिर दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया।
इसके साथ ही एक सवाल यह उठता है कि क्या रामराज्य में पुलिस इतनी निरंकुश है कि उसपर किसी का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है अथवा पुलिस के गलत इस्तेमाल ने उसे एक डरावना रूप दिया है? बेबी रानी मौर्य का यह बयान बहुत कुछ कहता है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत करता है कि अब उत्तर प्रदेश पुलिस महिलाओं की रक्षक की भूमिका में नहीं रह गई है। अपनी सुरक्षा के लिए महिलाओं को उनसे बचकर रहना चाहिए।
कानपुर में पुलिस के द्वारा महिला को पीटे जाने का वीडियो हुआ था वायरल
कुछ समय पहले भी कानपुर का वह वीडियो खूब वायरल हुआ था, जिसमें पुलिसकर्मी महिला को पीटते हुए एवं उसके सीने में बैठा नजर आया था। इसके अलावा गोण्डा में भी पीड़ित महिलाओं ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि जुआरियों को पकड़ने के नाम पर पुलिस ने कई घरों का दरवाजा तोड़कर महिलाओं की बर्बरता पूर्वक पिटाई की।
पुलिस पर कई बार सवाल खडे़ हुए लेकिन पुलिसवालों को कार्रवाई के नाम पर मात्र निलंबित ही किया गया, लेकिन उस परिवार का क्या जिसने अपने परिवार का सदस्य खो दिया, उस परिवार का क्या जिस पर झूठा केस लगाकर कोर्ट का चक्कर लगवाया गया। पुलिस को जनता की रक्षा एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए नियुक्त किया जाता है पर अफसोस वे खुद को कानून से ऊपर समझने लगते हैं।