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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़
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बहुजन
राजेंद्र यादव की शख्सियत
गाँव के लोग
-
October 28, 2022
राजेंद्र यादव के बिना बीसवीं शताब्दी के हिन्दी साहित्य की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होने एक उपन्यासकार , कथाकार , आलोचक , चिंतक...
विचार
बद्री नारायण की बदमाशी (डायरी, 9 जुलाई, 2022) (दूसरा भाग)
गाँव के लोग
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July 9, 2022
साहित्यिक लेखन और इतिहासपरक लेखन में फर्क होता है। साहित्यिक लेखन (आलोचना को अपवाद मान लें) के दौरान लेखक के पास अतीत में झांकने...
साहित्य
वीरेंद्र यादव बनाम ज्वालामुखी यादव
गाँव के लोग
-
March 5, 2022
(आज आलोचक वीरेंद्र यादव अपना बहत्तरवाँ जन्मदिन मना रहे हैं। वे बहुत सधे और गंभीर अध्येता हैं। वे नई से नई किताबें पढ़ते हैं।...
विचार
शब्द, सत्ता, सरोकार और राजेंद्र यादव डायरी (30 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 30, 2021
शब्द और सत्ता के बीच प्रत्यक्ष संबंध होता है। यह मेरी अवधारणा है। शब्द होते भी दो तरह के हैं। एक वे शब्द जो...
संस्कृति
कोई बिगड़े तो ऐसे, बिगाड़े तो ऐसे! (राजेन्द्र यादव का मूल्यांकन और स्मरण)
गाँव के लोग
-
August 28, 2021
(राजेन्द्र यादव का मूल्यांकन और स्मरण) कोई बिगाड़ने वाला हो तो साहित्यकार राजेंद्र यादव एवं उनकी हंस जैसा, और बिगाड़े तो ऐसे जैसे राजेन्द्र दा...
संस्कृति
राजेंद्र यादव को मैं इसलिए भंते कहता हूँ कि उन्होंने साहित्य में दलितों और स्त्रियों के लिए जगह बनाई
गाँव के लोग
-
August 28, 2021
राजेंद्र यादव के बारे में मैं जब भी सोचता हूँ, प्रसिद्ध शायर शहरयार की ये पंक्तियाँ मेरे जेहन में उभरने लगती हैं - उम्र भर...
बहुजन
आपकी स्वतन्त्रता ही हमारी गुलामी है – राजेंद्र यादव
गाँव के लोग
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August 28, 2021
(राजेंद्र यादव को दिवंगत हुये आठ वर्ष हो गए। बेशक इन आठ वर्षों में सुसंबद्ध और निर्भीक ढंग से भारत की संघर्षशील जनता की...
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