संविधान की बदौलत रिजर्वेशन से जो अधिकारी उच्च पदों पर चले जाते हैं, उनमें से कुछ तो अपने ही गांव, घर, परिवार या सगे-संबंधियों से ही घमंड के कारण उन्हें मान-सम्मान न देते हुए मानवीय मूल्यों को ताक पर रख देते हैं। साधारण इंसान भी इन्हीं अधिकारियोंं को अपना आदर्श मानते हुए खुद भी जातीय मानसिकता से ग्रसित हो जाता है।