जौनपुर की धरोहरें केवल इतिहास का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे एक जीवंत संस्कृति का प्रतीक भी हैं। अगर इन स्थलों को सहेजने और प्रचारित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं, तो यह शहर न केवल अपनी पहचान बचा सकता है, बल्कि पर्यटन के माध्यम से विकास की नई कहानी भी लिख सकता है। जौनपुर शहर की पहचान जिन ऐतिहासिक धरोहरों से होती है, वे देखरेख के अभाव में लगातार खंडहर में तब्दील हो रही हैं। लगभग 600 साल पुरानी इस विरासत होने के बावजूद यह स्थान पर्यटन स्थल के रूप में अपनी कोई पहचान नहीं बना पाया है। पढ़िए आनंद देव की ग्राउंड रिपोर्ट
अतुल यादव विगत कई वर्षों से पढ़ने वाले तेज लेकिन आर्थिक रूप से विपन्न विद्यार्थियों के लिए किताबें मुहैया कराते आ रहे हैं। वह बताते हैं कि हर साल सेशन की शुरुआत में बच्चों को किताबें देते हैं और उनके अगली कक्षा में जाने के बाद उन्हें उस कक्षा की किताबें देकर पिछली किताबें लेते हैं और अन्य बच्चों को किताबें मुहैया कराते हैं।
आयुष को करीब एक हफ्ते से बुखार आ रहा था। उसने फोन पर स्कूल में बुखार आने की जानकारी दी थी, लेकिन उसको स्कूल बुलाया गया। जब स्कूल से उसने जल्दी घर जाने की इज़ाज़त मांगी तो उसको मना कर दिया गया। हमारे बेटे की मौत का कारण स्कूल प्रबंधक और प्रधानाचार्य है। इन दोनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
संथाली भाषा हूल का हिंदी अर्थ क्रांति होता है। 1854 और 1855 में झारखंड के जंगलों एवं खनिज संपदाओं की लूट के खिलाफ सिद्धू, कानु, भैरव, चांद के नेतृत्व में संथाल परगना के आदिवासियों ने अंग्रेजी हुकूमत की खिलाफत और विद्रोह का ऐलान कर दिया था। आदिवासियों ने अंग्रेजों से जंगलों को मुक्त करने की ठानी थी।