TAG
mahishasur
हिंसा का उत्सव जायज नहीं (डायरी 12 अक्टूबर, 2021)
आडंबर और पाखंड से कोई धर्म नहीं बचा हुआ है। या कहिए कि हर धर्म में केवल और केवल आडंबर और पाखंड ही है।...
भावनाएं केवल ताकतवालों की आहत होती हैं जज साहब! डायरी (3 सितंबर, 2021)
कल का दिन बेहद खास रहा। खास कहने के पीछे कोई व्यक्तिगत कारण नहीं है। वैसे भी जब आदमी तन्हा हो तो व्यक्तिगत कारणों...
‘शाश्वत सत्य’ और राज्य डायरी (9 अगस्त, 2021)
भारतीय सामाजिक व्यवस्था का केंद्रीय चरित्र पूंजीवादी है और यह कोई नयी बात नहीं है। चार वर्णों की व्यवस्था इसलिए ही बनायी गयी है।...