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Malegaon blast case
मालेगांव विस्फोट मामला : सत्रह साल बाद पीड़ितों के जख्म पर नमक की तरह आया फैसला
मालेगांव विस्फोट का मामला महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते के पास था। वर्ष 2011 में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने इस मामले को अपने हाथ में लिया। अदालत ने पाया कि अभियुक्तों के शामिल होने का प्रबल संदेह है, लेकिन अभियोजन पक्ष इसे संदेह से परे साबित नहीं कर पाया, इसलिए सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया गया। सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया, जो पीड़ितों के लिए एक बड़ा झटका और हिंदुत्व खेमे के लिए जश्न का विषय था।
मालेगांव विस्फोट मामले में गवाह को वापस बुलाने संबंधी पुरोहित की याचिका खारिज
मुंबई (भाषा)। यहां की एक विशेष एनआईए अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की एक गवाह को...
मालेगाँव बम विस्फोट के पीछे के ‘मोटिव’ को पुलिस ने क्यों नज़रअंदाज़ किया
आजकल पुलवामा हमले को लेकर सतपाल मलिक तथा मेरे अजिज मित्र फिरोज मिठीबोरवाला ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने की शुरुआत की है। मेरा मानना है कि भारत के ज्यादातर आतंकवाद की घटनाओं को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के लिए अंजाम दिया गया है, जिसकी स्वतंत्र रूप से जांच होनी चाहिए। और यह मांग मैं मेरे हर बार जांच रिपोर्ट के अंत में एक पैराग्राफ़ लिखकर की है