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Mangal Kavi
भरोसे का गीत
बिरहा के सुप्रसिद्ध और वरिष्ठ कवि-गायक मंगल यादव अपने ढंग के अनूठे बिरहिया हैं। उनके द्वारा सुनिए भारत-चीन युद्ध में शामिल एक सैनिक के...
बिरहा ही नहीं, चेतना का व्याकरण बदल देनेवाला बिरहा का आदिविद्रोही
बीसवीं शताब्दी के अंतिम चार दशक बिरहा गायन के स्वर्णकाल के रूप में जाने-जाते हैं जब बनारस और आसपास के जिलों में अनेक उद्भट बिरहिए सक्रिय थे। हीरालाल, बुल्लू यादव, रामदेव, पारस, रामकैलाश, हैदर अली जुगनू के अलावा सैकड़ों गायक इस लोकविधा को ऊंचाई दे रहे थे लेकिन ठीक इसी समय बनारस के एक गाँव से निकलनेवाले नसुड़ी यादव इन सबसे अलग और अद्भुत थे। वे बिरहा में कबीर बनकर उतरे थे और आजीवन अपने तेवर को बनाए रखा। पढ़िये विलक्षण बिरहा गायक नसुड़ी के जीवन-संघर्ष और सामाजिक योगदान के बारे में।
सदियों में पैदा होते हैं हीरालाल
बहुत दिनों तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझते हुए अंततः चच्चा चले गए। चच्चा माने भोजपुरी के महान बिरहिया हीरालाल यादव। मुझे उनके नजदीक...

