अधिवक्ता विशाल तिवारी ने मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से सुप्रीम कोर्ट में कहा है, ‘पिछले सात सालों में उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में 10 गैंगस्टर की मौत हुई है। इन 10 में से भी 7 की मौत तब हुई जब उन्हें अदालत की सुनवाई या स्वास्थ्य जांच के लिए ले जाया जा रहा था।'
अंसारी के परिवार ने आरोप लगाया है कि बांदा जेल में उन्हें ‘स्लो पॉयजन’ दिया गया, जिसके कारण उनकी मौत हो गई। प्रदेश के कई जिलों में सुरक्षा अलर्ट और धारा 144 के बीच डॉक्टरों के एक पैनल ने बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में शव का पोस्टमार्टम किया।
जेल में बंद सजायाफ्ता लोगों की मौत या हत्या का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी पिछले वर्ष अतीक अहमद और अरशद अहमद की पुलिस कस्टडी में हत्या कर दी गई थी और कल जेल में बंद मुख्तार अंसारी की मौत हो गई। इसके पहले 26 मार्च को मुख्तार अंसारी ने तबीयत बिगड़ने के बाद आशंका जाहिर की थी कि जेल में उन्हें धीमा जहर दिया गया। इनकी मौत के बाद पीयूसीएल ने इसे मानवाधिकार का उल्लंघन बताते हुए जांच की मांग की है
मऊ से पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में अचानक तबीयत बिगढ़ने से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, मुख्तार ने कोर्ट में पांच दिन पहले जहर देने का आरोप लगाया था।