वाराणसी में NTPC के हरित कोयला प्लांट में कचरे से तैयार किए जा रहे कोयले से प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका स्थानीय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इस प्लांट का उद्देश्य कचरे के पुनः उपयोग के जरिए कोयला उत्पादन को पर्यावरण-संवेदनशील बनाना था, लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स ने चिंता पैदा कर दी है।
एक तरफ जहां करसड़ा प्लांट से उठने वाली बदबू और कूड़े के ढेर से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से चिंतित हैं तो वहीं इसी गाँव के दूसरे छोर पर घर में ही दुकान चलाने वाले प्रमोद कुमार सिंह की निकट भविष्य में आने वाली कठिनाइयां, जो कि कूड़े के ढेर से निकली बदबू के कारण बेटी के हाथ पीले करने में हो सकती हैं,को जोड़कर चिंतित दिखे। करसड़ा डंपिंग ग्राउंड से लौटकर राहुल एस यादव की रिपोर्ट।
'पिछले कुछ महीनों में पुंछ में पर्यटन को लेकर जितना काम हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ था। पुंछ और उसके आसपास कश्मीर जैसे उत्कृष्ट पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें हमेशा नज़रअंदाज़ किया जाता रहा है। उन्होंने सार्वजनिक स्तर पर पर्यटन के बारे में जागरूकता लाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।'
उत्तराखण्ड राज्य के रूरल डेवलपमेंट और माइग्रेशन कमीशन के अनुसार राज्य के ग्रामीण इलाकों में तापमान बढ़ रहा। साथ ही शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाओं...
आज हम रायगढ़ शहर से दस किलोमीटर दूर संबलपुरी गाँव पहुंचे, जो आदिवासीबहुल गाँव है, जो एक समय अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के साथ प्राकृतिक संपदा और वहां मिलने वाले फल और खाद्य संसाधनों से भरा-पूरा था। तेंदू, आंवला, हर्रा, बहेड़ा, चार, कुर्रू, महुआ, डोरी, खेकसा के घने जंगल थे, जहाँ से इन सबको मौसम के अनुसार इकट्ठा कर आदिवासी स्त्रियाँ शहर में बेचने आया करती थीं जिनका खेती-किसानी के अलावा यह एक अन्य आर्थिक आधार था।