पुणे में घरेलू हिंसा की शिकार एक युवती ने अपने बचाव के लिए एक सामाजिक संस्था से संपर्क किया जिसकी कार्यकर्ता ने अपनी एक वकील मित्र से उस युवती को कोथरूड में रहनेवाली कुछ कामकाजी महिलाओं के साथ साथ रहने का बंदोबस्त कर दिया। एक पुलिसकर्मी के परिवार की बहू उस युवती के ससुर ने पता लगाकर उन महिलाओं को न केवल जातिसूचक गालियाँ दी बल्कि उनके साथ मारपीट की और अपनी पहुँच की बल पर उन्हें थाने ले गया, जहाँ उन्हें अश्लील गालियाँ देते हुए देह व्यापार करनेवाली कहा गया। गौरतलब है कि पीड़ित महिलाएं दलित समुदाय से आती हैं। थाणे में उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई बल्कि उन्हें प्रताड़ित किया गया। इस मामले ने दलित महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। भंडारा की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक अध्येता मिनल शेंडे की टिप्पणी।
हाल ही में, घृणित छल-कपट का एक आश्चर्यजनक प्रदर्शन करते हुए, दिलीप मंडल ने न केवल कम चर्चित, लेकिन बहुत महत्वपूर्ण मुस्लिम महिला, फातिमा शेख, जो सामाजिक समानता और लैंगिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध थी, की यादों को मिटाने का न केवल बीड़ा उठाया है, बल्कि वास्तव में उसके अस्तित्व को ही नकार दिया है। उन्होंने यह बेतुका दावा किया है कि फातिमा शेख उनकी अपनी कल्पना की उपज है, जिसे उन दिनों धर्मनिरपेक्षता के महत्व को बढ़ावा देने के लिए गढ़ा गया था, जब वे खुद एक प्रतिबद्ध धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे!
एक सावित्री पुराणों में हैं, जहां उनके द्वारा अपने पति के प्राण तक वापस लाने की कहानी बचपन से ही सुनते आ रहे हैं। यह आधुनिक युग की सावित्री, जिसने स्त्री-शूद्र तथा पददलित लोगों के लिए शिक्षा की शुरुआत की, जिसने निष्ठा के साथ जो काम किया। इन्हीं सावित्री बाई फुले की आज 139वीं पुण्य तिथि है।