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राजस्थान : जर्जर सड़कों के कारण जीवन की हर जरूरत समय पर पूरी नहीं हो रही है

किसी भी शहर और गाँव के विकास का पहला मापदंड होता है, वहाँ की सड़कें। यदि सड़कें जर्जर है तो यही बात सुनाई देती है कि वहाँ कोई विकास नहीं हुआ है क्योंकि एक बेहतर सड़क से विकास के सारे रास्ते खुलते हैं। जीवन आसान होता है।

राजस्थान : लूणकरणसर गांव के लिए क्या अस्पताल ज़रूरी नहीं?

आगामी 01 फ़रवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2024-25 का बजट प्रस्तुत करेंगी। जिसमें अन्य बुनियादी विषयों के साथ सबकी नज़र इस बात पर...

शासन-प्रशासन के भरोसे सामाजिक एकता की कामना दिवास्वप्न है

अगर आपको यह लगता है कि भारत में जातिवाद खत्म हो गया है, तो शायद आप गलत सोच रहे है। ताजा उदाहरण है लाइन...

बाड़मेर के पूर्व विधायक मेवाराम समेत 9 के खिलाफ दुष्कर्म का केस, पॉक्सो की धाराएं जोड़ी

राजस्थान। बाड़मेर के पूर्व विधायक मेवाराम जैन का नाम आज फिर सुर्खियों में है। मेवाराम के दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे...

राजस्थान : न्यायालय से ऊपर हुई राज्य सरकार, शूटर रोहित के घर पर चलाया बुलडोजर

राजस्थान। राजपूत करणी सेना प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या मामले में अब राजस्थान में भी बुलडोजर की कार्रवाई की गई है। पुलिस की...

कांग्रेस का अन्य राष्ट्रीय एवं छोटे दलों के साथ गठबंधन होता तो उसका प्रदर्शन बेहतर होता

हाल में संपन्न राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम के विधानसभा चुनावों में कई कारणों से पूरे देश की भारी दिलचस्पी थी। भाजपा पिछले...

राजस्थान: कृषि प्रधान देश में सरकारी नीतियों की उपेक्षा के शिकार हो रहे किसान

बारिश की कमी को पूरा करने के लिए अन्य विकल्पों पर ध्यान दिया जाए ताकि किसानों को कृषि छोड़कर मज़दूरी न करनी पड़े। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार किसानों की समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान देगी और इसके समाधान के लिए किसी सकारात्मक नतीजे पर पहुंचेगी। बहुत जल्द राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक दलों के बीच यह मुद्दा प्रमुखता से उठ सकता है।

‘स्वच्छता अभियान’ के बावजूद देश की बड़ी आबादी खुले में शौच के लिए मजबूर है

देश के 53.1 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं था, जिसकी वजह से महिलाओं और लड़कियों को सबसे ज्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। खुले में शौच जाने से महिलाओं और लड़कियों को न केवल मानसिक प्रताड़ना से गुज़ारना पड़ता है, बल्कि उनके स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

‘आवास योजना’ के रहते कच्चे घरों में रहने को हैं मजबूर

इंदिरा आवास योजना का उद्देश्य यह है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोग, जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है और वह अपनी जिंदगी झुग्गियों-बस्तियों में रहकर गुजारा करते हैं। इसके अंतर्गत जिनके पास घर खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं, ऐसे लोगों को पक्के मकान उपलब्ध कराना होता है।

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