अछूत व्यवस्था लगभग पहली सदी ईस्वी में जाति व्यवस्था का अंग बनी। मनुस्मृति, जो दूसरी या तीसरी सदी में लिखी गई थी, में तत्कालीन लोक व्यवहार को संहिताबद्ध किया गया है और इससे पता चलता है कि उत्पीड़क वर्गों द्वारा पीड़ितों पर कितने घृणित प्रतिबंध और नियम लादे जाते थे।
प्रो.चंद्रशेखर पर अँगुली उठाने वाले सनातनियों से खुली बहस की चुनौती
लखनऊ में भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.लौटनराम निषाद तुलसीदास की रामचरितमानस, मनुस्मृति,...