अतीत में बंगाल एक मजबूत सामाजिक चेतना के लिए जाना जाता था, जहां आम लोग सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए हस्तक्षेप करते थे। हालांकि आज भी यह चेतना बनी हुई है, लेकिन लोग ऐसे गुंडों को मिलने वाले राजनीतिक संरक्षण के कारण हस्तक्षेप करने से डरने लगे हैं। आज बंगाल में ऐसे आवश्यक सामाजिक हस्तक्षेपों को समर्थन मिलने के बजाय उनके खिलाफ हिंसा होने की आशंका अधिक होती है।
दो लाख आबादी वाले संदेशखाली की घटनाओं का राजनैतिककरण में भाजपा ने पूरा दम लगा दिया है। मोदी से लेकर केंद्रीय मंत्रियों और राज्यपाल तक ने इसका संज्ञान लिया। लेकिन आज से 22 वर्ष पहले हुए गोधरा के दंगों को भूल जाते हैं जबकि उन दिनों मोदी खुद वहाँ मुख्यमंत्री थे। दंगे में हजारों लोगों का कत्ल हुआ, घर जला दिये गए। महिलाओं के साथ गैंगरेप हुआ।
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली जा रही फैक्ट फाइंडिंग टीम को 70 किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया। पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एल. नरसिंह रेड्डी के नेतृत्व वाली एक स्वतंत्र फैक्ट फाइंडिंग के छह सदस्यों को पुलिस ने वहां जाने से रोक दिया।
चुनाव आते ही भाजपा सांप्रदायिक भाईचारे को बिगाड़ने की शुरुआत कर देती है। इस बार लोकसभा की ज्यादा सीट हासिल करने के लिए बंगाल के संदेशखाली में उपद्रव मचाने का काम शुरू कर दिया है। विस्तार से जानने के लिए पढ़िए यह लेख