संविधान की धज्जियां उड़ाने वाली वर्तमान केंद्र सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा की है। इनका कहना है कि 1975 में 25 जून को आपातकाल का लगाया जाना संविधान की हत्या करना ही था। यह आपातकाल एक बार लगा था लेकिन वर्ष 2014 से जब से भाजपा सरकार सत्ता में है, तब से पूरे देश में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है और देश के संविधान के विरुद्ध ही सभी निर्णय लिए जा रहे हैं। सवाल यह है कि ऐसे में संविधान हत्या दिवस की घोषणा करना क्या उचित है?
आरएसएस के एक शीर्ष पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने भी कहा कि अहंकार के कारण भाजपा की सीटों में गिरावट आई है। आरएसएस ने तुरंत इस बयान से पल्ला झाड़ लिया और इंद्रेश कुमार ने इसे वापस लेते हुए प्रमाणित किया कि केवल मोदी के नेतृत्व में ही भारत प्रगति कर सकता है। कई टिप्पणीकारों ने डॉ. भागवत के बयान को आरएसएस और भाजपा के बीच दरार के संकेत के रूप में लिया है।
अपने चुनावी भाषणों में देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री देश की महिलाओं को मातृ शक्ति का दर्जा दे सम्मान की बात कर रहे हैं लेकिन उनके मुंह से भाजपा के कथित गुंडों और बलात्कारियों द्वारा की गई करतूतों पर एक बोल नहीं निकलता। आरएसएस की शाखाओं में शामिल होने वाले युवाओं को कभी नारी सम्मान की बात नहीं सिखाई जाती।
कट्टरपंथी हिंदूत्ववादी विनायक दामोदर सावरकर हजारों लोगों की उपस्थिति में, जिसमें महिला-पुरुष दोनों होते थे, अपना भाषण दिया करते थे। वे अपने भाषण में...