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आरएसएस ने भारत की आजादी में हिस्सा लेते हुए कौन सी कुर्बानियाँ दीं
आरएसएस के सौ वर्ष पूरे होने पर मोदी ने अपने भाषण में कहा कि देश की आजादी के लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दीं और चिमूर जैसे कई स्थानों पर ब्रिटिश शासन का विरोध भी किया। उनके अनुसार राष्ट्र निर्माण में संघ का जबरदस्त योगदान है। लेकिन संघ का राष्ट्रवाद ‘अलग‘ था यह तब स्पष्ट हुआ जब पंडित नेहरू ने 26 जनवरी, 1930 को तिरंगा फहराने का आव्हान किया। हेडगेवार ने भी झंडा फहराने का आव्हान किया, किंतु भगवा झंडा फहराने का। हेडगेवार नमक सत्याग्रह में शामिल हुए थे क्योंकि उन्हें लगा कि यह जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों को अपने संगठन की ओर आकर्षित करने का एक अच्छा अवसर है। इसलिए उन्होंने सरसंघचालक के पद से इस्तीफा दिया, जेल गए और जेल से रिहा होने के बाद दुबारा वही पद ग्रहण किया। इस दौरान उन्होंने अन्य लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के प्रति हतोत्साहित किया। एक संगठन के रूप में आरएसएस ने किसी भी ब्रिटिश विरोधी आंदोलन में भाग नहीं लिया।
संविधान का उल्लंघन करने वाले ही घोषणा कर रहे हैं संविधान हत्या दिवस मनाने का
संविधान की धज्जियां उड़ाने वाली वर्तमान केंद्र सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा की है। इनका कहना है कि 1975 में 25 जून को आपातकाल का लगाया जाना संविधान की हत्या करना ही था। यह आपातकाल एक बार लगा था लेकिन वर्ष 2014 से जब से भाजपा सरकार सत्ता में है, तब से पूरे देश में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है और देश के संविधान के विरुद्ध ही सभी निर्णय लिए जा रहे हैं। सवाल यह है कि ऐसे में संविधान हत्या दिवस की घोषणा करना क्या उचित है?
पिता, पुत्र और हिंदुत्व के एजेंडे की ओर ठेलमठेल
आरएसएस के एक शीर्ष पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने भी कहा कि अहंकार के कारण भाजपा की सीटों में गिरावट आई है। आरएसएस ने तुरंत इस बयान से पल्ला झाड़ लिया और इंद्रेश कुमार ने इसे वापस लेते हुए प्रमाणित किया कि केवल मोदी के नेतृत्व में ही भारत प्रगति कर सकता है। कई टिप्पणीकारों ने डॉ. भागवत के बयान को आरएसएस और भाजपा के बीच दरार के संकेत के रूप में लिया है।
पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह चुनावी मंचों से मातृशक्ति और स्त्री सशक्तिकरण के खोखले दावे करते हैं
अपने चुनावी भाषणों में देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री देश की महिलाओं को मातृ शक्ति का दर्जा दे सम्मान की बात कर रहे हैं लेकिन उनके मुंह से भाजपा के कथित गुंडों और बलात्कारियों द्वारा की गई करतूतों पर एक बोल नहीं निकलता। आरएसएस की शाखाओं में शामिल होने वाले युवाओं को कभी नारी सम्मान की बात नहीं सिखाई जाती।
आरएसएस की पाठशाला में तैयार हुए बिलकिस के गुनहगार
कट्टरपंथी हिंदूत्ववादी विनायक दामोदर सावरकर हजारों लोगों की उपस्थिति में, जिसमें महिला-पुरुष दोनों होते थे, अपना भाषण दिया करते थे। वे अपने भाषण में...
गांधियों… रास्ता छोड़ो!
आखिर ये गांधी सरनेम वाले, कब तक मोदीजी के रास्ते में आते रहेंगे। पहले नेहरू सरनेम की आड़ में बेचारों को कभी इसके, तो...
हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव और भविष्य की चुनौतियाँ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हाल में कहा था कि भारत में इस्लाम खतरे में नहीं है; कि कलह करने...

