आज सावित्री बाई फुले की 194 वीं जयंती है। 1848 में जब सावित्रीबाई ने पहली बार लड़कियों के विद्यालय की शुरुआत की, उस समय ब्रह्मणवाद अपने चरम पर था। ब्रह्मणवाद आज भी खत्म नहीं हुआ है लेकिन उन दिनों उसका मुकाबला करना आज से ज्यादा मुश्किल और कठिन था। तब भी उन्होंने विद्यालय खोला। उन दिनों किसी महिला का, वह भी पिछड़े समाज से आने वाली के लिए साहस का काम था। आज तो पूरे देश में लाखों विद्यालय होंगे, जहां लड़कियां पढ़ रही हैं और पढ़ा भी रही हैं। सब इनके द्वारा शुरू किए गए काम का परिणाम है।