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रायगढ़ : पेसा कानून को नज़रअंदाज़ करके बन रहा है रेल कॉरिडोर, गाँव वाले इसलिए कर रहे हैं विरोध
घरघोड़ा से पेलमा तक रेल लाइन बिछाने के लिए 21 गांवों में 600 किसानों की ज़मीनें जाएंगी और 3 हजार की आबादी विस्थापित होगी। इस इलाके में आदिवासियों का निवास है। जिनकी अपनी थोड़ी सी खेती-किसानी है और इनका पूरा जीवनयापन जंगलों पर निर्भर है।
भूविस्थापितों ने खदान और सायलो पर किया कब्जा, एसईसीएल को करोड़ों का नुकसान
इस क्षेत्र में भूविस्थापितों के छोटे-बड़े सभी संगठन एकजुट हो गए हैं और उन्होंने आर्थिक नाकाबंदी का आह्वान किया था। इस आह्वान पर खनन प्रभावित 54 गांवों के हजारों ग्रामीण सड़कों पर उतर गए और आंदोलन के दूसरे दिन उन्होंने 8 किमी. लंबे कोयला खदान के अंदर जाकर सतर्कता चौक और सायलो, (जहां से ट्रेनों में परिवहन के लिए कोयला भरा जाता है और साइडिंग में जाता है) पर भू विस्थापितों ने कब्जा जमा लिया था। इस आंदोलन में महिलाएं भी अपने बच्चों को लेकर भारी संख्या में शामिल थी और रात उन्होंने सड़कों पर ही गुजारी। इससे एसईसीएल प्रबंधन की रात में कोयला परिवहन की योजना भी असफल हो गई।
गंगानगर में बुनियादी सुविधाएं और बेरोजगारों को रोजगार देने की मांग
15 जून को गेवरा एसईसीएल का घेराव करेगी माकपा
गेवरा (कोरबा)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने घाटमुड़ा से विस्थापित और गंगानगर में...
रोजगार देने के आश्वाशन के बाद विस्थापितों की भूख हड़ताल खत्म, लेकिन जारी रहेगा अनिश्चितकालीन धरना
छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा, रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव और सचिव दामोदर श्याम लंबित रोजगार प्रकरणों को जल्द निपटाने की मांग को लेकर 2 मार्च से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। उनके साथ सैकड़ों भूविस्थापित ग्रामीण भी लगातार तीन दिनों से धरना में शामिल हो रहे थे। इससे प्रबंधन की परेशानियां बढ़ गई थी।
टिकैत की सभा सफल बनाने किसान सभा ने कसी कमर
तेरह फरवरी को कोरबा में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत की सभा को सफल बनाने के लिए छत्तीसगढ़ किसान सभा का प्रचार...
कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ कोरबा में भूविस्थापितों का संघर्ष
छत्तीसगढ़ में एक आदिवासीबहुल जिला है कोरबा, जो प्राकृतिक संसाधनों में संपन्न होने के बावजूद विकास सूचकांक में देश के पिछड़े जिलों में शामिल...