रामपुर गांव की कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं है, बल्कि यह उन लाखों कारीगरों और बुनकरों की कहानी है, जो सरकारी योजनाओं के अधूरे वादों और बाजार की बेरुखी के बीच फंसे हुए हैं। यह समय है कि सरकार और समाज मिलकर इनके सपनों को साकार करने के लिए कदम उठाए। अगर समय रहते इनकी मदद नहीं की गई, तो यह अद्वितीय कला और कौशल हमेशा के लिए खो जाएगा। पढ़िए नाजिश महताब की ग्राउंड रिपोर्ट।
यदि वह कांग्रेस के अतीत की गलती है, तब भी क्या देश के प्रधानमंत्री को इस विषय पर संसद में अपना पक्ष नहीं रखना चाहिए। जबकि पूरा विपक्ष और देश के तमाम नागरिक संगठन इसे पूरी तरह से सरकार की असफलता ही नहीं, बल्कि सरकार का सुनियोजित प्रयास बता रहे हैं। इस सबके बावजूद प्रधानमंत्री इस मामले पर कुछ भी कहने से लगातार बचते रहे हैं।
मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूं कि आपने मेरी सांसदी बहाल की। पिछली बार जब मैं बोला तो थोड़ा कष्ट भी पहुंचाया। इतनी जोर से अडाणीजी पर फोकस किया कि जो आपके सीनियर नेता हैं, उन्हें थोड़ा कष्ट हुआ। जो कष्ट हुआ, उसका असर आप पर भी हुआ। इसके लिए मैं माफी मांगता हूं। मैंने सिर्फ सच्चाई रखी थी।