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सिलीकान बेस्ड उत्पाद से जुड़ी पूंजी का पूरा चरित्र ही बदल गया है
डा. राजेश्वर सक्सेना की वैचारिकी का प्रभाव बौद्धिक जगत में व्यापक रूप से पड़ा है। हिन्दी भाषी क्षेत्र में वे अपनी वैचारिकी के कारण...
क्या श्रीलंका में फिर से राजपक्षे की वापसी हो रही है?
श्रीलंका में भगोड़े राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की वापसी हो गई है लेकिन इन्होंने देश में हुए पूरे राजनीतिक घटनाक्रम का मज़ाक बनाकर रख दिया...
भारत के मौजूदा संकट का राजनीतिक अर्थशास्त्र
बुनियादी चुनाव सुधार पर देश में बहस होनी चाहिए और उसके नतीजों को कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए। बुनियादी चुनावी सुधार सिर्फ मौजूदा कानूनी प्रावधानों में चंद संशोधऩों से नहीं संभव होगा, इसके लिए कानूनी प्रक्रिया में बुनियादी बदलाव, संविधान संशोधन और सबसे बढ़कर जन सजगता की जरुरत है। समाज में जागरुकता, जनपक्षधर सोच और राष्ट्रव्यापी जन-गोलबंदी के बगैर बडे सुधार और बदलाव संभव नहीं होंगे। हाशिए की आवाजों को तभी सुना जा सकेगा और उत्पीड़ित-दमित लोगों को प्रगति और विकास की धारा, जो समाज के संसांधनों और उनके अपने श्रम व कौशल का नतीजा है, में वाजिब जगह मिलेगी।