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सुल्तान अहमद
मुक्तिबोध को एक ग़ज़लकार की चिट्ठी -3
अगर इस कहानी में सिर्फ़ इतना ही होता कि बम गिराकर क्लॉड ईथरली को इतना पछतावा होता है कि वो अपने को सज़ा दिलाने...
मुक्तिबोध को एक ग़ज़लकार की चिट्ठी – 2
आपके ज़माने में एक ऐसा तक़्क़ीपसंद नज़रिया भी राइज था, जिसमें इतनी भी ‘सहूलियत’ बर्दाश्त नहीं की जा पाती थी, जैसा कि नैरेटर बर्दाश्त...
मुक्तिबोध को एक ग़ज़लकार की चिट्ठी-1
मोहतरम मुक्तिबोध जी !
कुल मिलाकर आपने जादू तो मुझपर यही कर रक्खा है कि आप कभी कोई कमज़ोर चीज़ रच ही नहीं सकते ।...